राजेश सोनी | Navpravah.com
2019 के लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। मंगलवार को ही शिवसेना ने 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के साथ गठबंधन न करने का ऐलान किया है और आगामी चुनाव अपने दम पर लड़ने की घोषणा की है। ऐसे सभी एलानों के बाद ही प्रश्न उठ रहे हैं कि कहीं देश में गैर भाजपा और गैर कांग्रेसी कोई तीसरा मोर्चा तो तैयार नहीं हो रहा है। इस तीसरे मोर्चे का नेतृत्व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर सकती हैं।
बता दें कि पिछले वर्ष के नवंबर महीने में सीएम ममता ने शिवसेना के पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से मुंबई में मुलाकात की थी। वहीं यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनके साथ पिछले वर्ष पश्चिम बंगाल जाकर मुलाकात की थी। इसके अलावा राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकंपा) पार्टी अध्यक्ष शरद पवार के नेतृत्व में मुंबई में होनेवाले बैठक में टीएमसी के नेता हिस्सा लेंगे। बिहार में लालू प्रसाद यादव के साथ ममता बनर्जी के साथ काफी अच्छे रिश्ते हैं। वहीं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी अपने रिश्तों के बारे में दुनिया के सामने नोटबंदी के विरोध के दौरान बता ही चुके हैं।
इन सभी राज्यों में कुल लोकसभा की 217 सीटें आती हैं। देश में अगर तीसरा मोर्चा तैयार होता है, तो यह दोनों राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और भाजपा के लिए खतरे की घंटी है। क्योंकि, ऐसा अगर होता है, तो यह मोर्चा दोनों राष्ट्रीय पार्टियों के 2019 के लोकसभा चुनाव के समीकरणों को बिगाड़ सकता है। देश में कई बार तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की गई, लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली। इससे पहले लालू यादव ने नीतीश कुमार को चेहरा बनाते हुए 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए तीसरा मोर्चा बनाने की कोशिश की थी। अब दोनों नेता लालू और नीतीश के पार्टियों के बीच गठबंधन नहीं रहा और अब नितीश कुमार एनडीए का हिस्सा हैं। वहीं इन सभी क्षेत्रीय पार्टियों का अपने-अपने राज्य के बाहर कोई बड़ा जनाधार नहीं है।