एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
कर्नाटक में सियासी ड्रामा अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विधानसभा की तरफ शिफ्ट हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा है कि कर्नाटक विधानसभा में 19 मई को शक्ति परीक्षण होगा।
इससे पहले राज्यपाल ने इसके लिए बीजेपी सरकार को 15 दिनों का मौका दिया था। बीजेपी की तरफ से पेश वकीलों ने कहा कि सीक्रेट बैलट पेपर से यह परीक्षण होना चाहिए लेकिन कोर्ट ने उनकी दलील को खारिज करते हुए कहा कि 18 मई को शाम चार बजे तक प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति की जानी चाहिए।
इसी प्रोटेम स्पीकर की देखरेख में 19 मई को विधानसभा का शक्ति परीक्षण कराया जाएगा, इसलिए कोर्ट ने किसी पर्यवेक्षक की नियुक्ति नहीं की, ऐसे में सारी निगाहें अब प्रोटेम स्पीकर पर टिक गई हैं।
प्रोटेम लैटिन शब्द प्रो टैम्पोर का संक्षिप्त रूप है। इसका शाब्दिक आशय होता है- कुछ समय के लिए’ प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति गवर्नर करता है और इसकी नियुक्ति आमतौर पर तब तक के लिए होती है जब तक विधानसभा अपना स्थायी विधानभा अध्यक्ष नहीं चुन लेती है।
यह नवनिर्वाचित विधायकों का शपथ-ग्रहण कराता है और यह पूरा कार्यक्रम इसी की देखरेख में होता है। सदन में जब तक विधायक शपथ नहीं लेते, तब तक उनको सदन का हिस्सा नहीं माना जाता है।