अमित द्विवेदी | Navpravah.com
मुंबई: साकीनाका के साईनाथ चॉल, नेताजी नगर में लोगों के घरों के ठीक बीच सारे नियमों को ताक पर रखकर 2 मंजिले घर पर टेरेस बनाकर अवैध मोबाइल टावर लगाया जा रहा है। मामले की शिकायत सम्बंधित अधिकारियों को की जा चुकी है, लेकिन सरकारी अधिकारियों के कान पर जून तक नहीं रेंग रही।
शिकायतकर्ता से प्राप्त जानकारी के मुताबिक़, इस संदर्भ में स्थानीय निवासियों ने वार्ड ऑफिसर, एल.वार्ड. कुर्ला (प.) के साथ-साथ, मनपा उपायुक्त, अतिक्रमण निर्मूलन विभाग चेम्बुर में 6 जुलाई को शिकायत दर्ज कराई है, लेकिन बीएमसी द्वारा अभी तक इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं की गई है और टॉवर का काम जोरों-शोरों से चल रहा है।
एक रहिवासीय क्षेत्र में सारे नियमों को ताक पर रखकर लगाए जानेवाले इस अवैध मोबाइल टॉवर को हटाने के लिए साईनाथ चाल, शांति सेवा संघ व अन्य सभी रहिवासियों ने वार्ड क्र. 164 के नगरसेवक हरीश भन्दिरगे के पास गुहार लगाई। स्थानीय निवासियों ने कहा कि जहाँ एक तरफ बीजेपी नगरसेवक हरीश भन्दिरगे ने रहिवासियों को आश्वस्त कराया कि टॉवर ज़ल्द ही निकल जायेगा, वहीं दूसरी तरफ टॉवर का काम और तेज़ी से शुरू हो गया।
महिलाएं देंगी धरना-
इस चॉल में रहनेवाली महिलाओं ने अपनी पीड़ा प्रकट करते हुए कहा, “टॉवर के कारण हम लोग बहुत डरे हुए हैं। हम शांतिपूर्वक इस चॉल में रहते थे, पर जब से इस टॉवर का काम शुरू हुआ है, हमारा सुख-चैन खो गया है। टॉवर लगानेवालों ने सबको पैसे देकर सांठ-गांठ कर ली है। कोई हमारी सहायता नहीं कर रहा है, न तो बीएमसी न ही पुलिस और न ही नगरसेवक। हमारे घरों में छोटे बच्चे हैं, वृध्द हैं, गर्भवती महिलाएं हैं। यह मोबाइल टॉवर जो कि हमारे घरों के ठीक बीच लगाया जा रहा है, इससे निकलेवाले रेडिएशन से हमारी जिंदगी को खतरा है। अगर ज़ल्द ही इस संदर्भ में कोई कार्यवाही नहीं हुई तो हम धरना देंगे।”
गौरतलब है कि मोबाइल टावर को लगाने के संदर्भ में शासन द्वारा जो गाइडलाइंस बनाई गई हैं, यदि उनकी मानें तो उस आधार पर इस स्थान पर झोपड़ों के बीच लगने वाला यह मोबाइल टॉवर पूरी तरह से अवैध है। मोबाइल टॉवर कम-से-कम पांच मंजिला इमारत पर सभी नियमों के अधीन रहकर ही लगाया जा सकता है। यह टॉवर अन्य घरों से सुरक्षित अंतर पर होना चाहिए, जबकि जिस घर के टेरेस पर यह टावर लगाया जा रहा है, वह अन्य घरों से बिल्कुल सटा हुआ है।
दुर्घटना होने की संभावना-
इमारत का बांधकाम भी मजबूत दिखाई नहीं देता। ऐसे में यह मोबाइल टॉवर लगने के बाद यदि कोई दुर्घटना होती है या आग वगैरह लगती है, तो इससे सटे हुए घरों में रहनेवाले सैकड़ों लोगों के प्राण संकट में पड़ जाएंगे। ऐसे में कौन होगा इसका जिम्मेदार? मोबाइल टॉवर लगानेनेवाले घर का मालिक, स्थानीय नगरसेवक या बीएमसी ?
ऐसे में प्रश्न उठता है कि इस मोबाइल टॉवर को परमिशन कहाँ से मिला? यदि बिना परमिशन या बिना एन.ओ.सी के यह टॉवर लगाया जा रहा है, तो किस राजनेता की कृपादृष्टि से यह अवैध मोबाइल टॉवर लगाया जा रहा है! कहीं यह अवैध मोबाइल टॉवर बीएमसी, नगरसेवक व टॉवर लगानेवाले घर-मालिक की मिलीभगत का परिणाम तो नहीं? हालाँकि, इस सम्बन्ध में हमने कुछ स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी से बात नहीं हो पाई।