आचार्य प्रदीप द्विवेदी | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क
इस वर्ष अधिकमास के कारण नवरात्रि का पर्व लगभग एक माह बाद प्रारम्भ हुआ। अक्सर अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को लेकर भ्रम की स्थिति बनी रहती है, इस बार भी ऐसी चर्चा है। इस बार अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर, शनिवार के दिन मनाई जाएगी, जबकि नवमी तिथि 25 अक्तूबर को होगी। लेकिन पंचांग भेद के कारण अष्टमी और नवमी तिथि दोनों एक ही दिन है।
दरअसल हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार, दो तिथियां एक ही दिन पड़ जाती है। इस कारण से एक व्रत या त्योहार दो दिन मनाया जाता है। इस बार महाअष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर को और नवमी तिथि का व्रत 25 अक्टूबर को रखा जाएगा, जबकि दशमी तिथि पर विजयदशमी का पर्व होगा। वाराणसी के पंचांग के अनुसार, अष्टमी तिथि का पूर्ण मान 24 अक्टूबर को है इसलिए निर्विवाद रूप से अष्टमी तिथि 24 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी। जबकि दशमी तिथि 25 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
हिंदू पंचांग की गणना के अनुसार, 23 अक्टूबर दिन शुक्रवार को सुबह 6 बजकर 57 मिनट से अष्टमी तिथि शुरू हो जाएगी। जो अगले दिन यानी 24 अक्टूबर की सुबह 6 बजकर 58 मिनट तक रहेगी। नवमी तिथि 24 अक्टूबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से आरंभ हो जाएगी, जो 25 अक्टूबर की सुबह 7 बजकर 41 मिनट तक रहेगी। उसके बाद दशमी तिथि 25 अक्टूबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट से आरंभ होकर 26 अक्टूबर की सुबह 9 बजे तक रहेगी।
अष्टमी तिथि पर होती है देवी महागौरी की उपासना-
नवरात्रि के आठवें दिन मां के महागौरी रूप की उपासना की जाती है। महागौरी का स्वरूप बहुत ही शांत स्वभाव का होता है। माता सफेद रंग का वस्त्र धारण कर शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है।
नवमी तिथि पर होती है देवी सिद्धिदात्री की उपासना-
नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री को सरस्वती का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि सभी देवी-देवताओं को भी माँ सिद्धिदात्री से ही सिद्धियों की प्राप्ति हुई है। इनकी उपासना से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। भक्त इनकी पूजा से यश, बल और धन की प्राप्ति करते हैं।
25 अक्टूबर को मनाया जाएगा विजयदशमी का पर्व-
हिंदू पंचांग के अनुसार, अश्विन मास के शुक्लपक्ष की दशमी तिथि पर दोपहर के समय दशहरा मनाया जाएगा। 25 अक्टूबर को विजयदशमी मनाई जाएगी। नवमी तिथि 25 अक्टूबर को सुबह समाप्त हो जाएगी, फिर इस दिन दशमी तिथि शुरू हो जाएगी।