Bihar Assembly Election 2020 : पीएम मोदी ने कर्पूरी ठाकुर को किया याद, जानिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं कर्पूरी ठाकुर

पॉलिटिकल डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क 
बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार अपने चरम पर है। पहले चरण के लिए मतदान की तारीख़ एकदम क़रीब है। ऐसे में हर पार्टी के स्टार प्रचारक जी जान लगाकर चुनाव प्रचार करने में लगे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार में गठबंधन को मज़बूती देने के लिए बिहार के सासाराम पहुँचे। अपने चिर परिचित अन्दाज़ में प्रधानमंत्री ने भाषण शुरू किया। उन्होंने भोजपुरी में भाषण की शुरुआत की। रामविलास पासवान और रघुवंश प्रसाद को श्रद्धांजलि देने के बाद उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को याद किया।
कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु लगभग ३२ वर्ष पहले हुई थी, लेकिन आज भी दिवंगत कर्पूरी ठाकुर बिहार की राजनीति की धुरी बने हुए हैं। आइए जानते हैं कौन हैं कर्पूरी ठाकुर और कैसे बने वे इतने महत्वपूर्ण व्यक्ति।
कौन थे कर्पूरी ठाकुर? 
कर्पूरी ठाकुर एक साधारण नाई परिवार में जन्मे। आजीवन सामाजिक न्याय को लेकर लड़ते रहे, अपनी इसी लड़ाई की वजह से वे बिहार की सियासत के बेहद महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए। पूरी ज़िंदगी उन्होंने कांग्रेस के ख़िलाफ़ राजनीति की। यहां तक कि आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार नहीं करवा सकी थीं।
कर्पूरी ठाकुर 1977 में बिहार के मुख्यमंत्री बने। ढाई साल के कार्यकाल में उन्होंने समाज के दबे-पिछड़ों लोगों के हितों के लिए ख़ूब काम किया। बिहार में मैट्रिक तक पढ़ाई मुफ्त की दी। वहीं, राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बना दिया। उन्होंने अपने कार्यकाल में गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के हक में ऐसे तमाम काम किए, जिससे बिहार में भारी बदलाव आया। इसके बाद कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक ताकत में जबरदस्त इजाफा हुआ और वो बिहार की सियासत में समाजवाद का बड़ा चेहरा बन गए।
जनता पार्टी के दौर में लालू और नीतीश ने कर्पूरी ठाकुर की उंगली पकड़कर सियासत के गुर सीखे। ऐसे में जब लालू यादव बिहार की सत्ता में आए तो उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के कामों को आगे बढ़ाया। वहीं, नीतीश कुमार ने भी अति पिछड़े समुदाय के हक में कई काम किए। 
कर्पूरी ठाकुर को यह दुनिया छोड़े ३२ साल हो गया लेकिन आज भी पिछड़े/अतिपिछड़े लोगों के लिए किया गया उनका काम आदर्श है। पिछड़े वर्ग के समुदाय में आज भी कर्पूरी ठाकुर का सम्मान जस का तस है। आज भी वे उतने ही लोकप्रिय हैं।
बिहार में पिछड़ों और अतिपिछड़ों की आबादी करीब 52 प्रतिशत है। ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी पकड़ बनाने के मकसद से कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते रहते हैं। यही वजह है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में ‘कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र’ खोलने का ऐलान किया। वहीं, अब पीएम मोदी ने सासाराम रैली में कर्पूरी ठाकुर का नाम लिया।

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