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भारत एंटी सैटेलाइट मिसाइल प्रोजेक्ट पर दो साल पहले से काम कर रहा था। डीआरडीओ के चेयरमैन जी. सतीश रेड्डी का कहना है कि छह माह पहले प्रोजेक्ट मिशन मोड में आया और उसके बाद 100 वैज्ञानिकों ने दिन-रात काम कर लॉन्चिंग को सफल बनाया। रेड्डी का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चर्चा के बाद एनएसए अजीत डोभाल ने इसके लिए मंजूरी दी थी।
रेड्डी का कहना है कि मिशन की कामयाबी हमारे लिए गौरव की बात है, क्योंकि इससे हम अमेरिका, रूस और चीन के साथ स्पेशल क्लब में शामिल हो गए हैं। अंतरिक्ष में मार करने की क्षमता अब भारत समेत चार देशों के पास ही है।
एक सवाल पर रेड्डी ने कहा कि ए-सैट मिसाइल के लिए लक्ष्य का चयन तीन सौ किमी की दूरी पर इस वजह से किया गया, क्योंकि हम नहीं चाहते थे कि अंतरिक्ष के नजदीक मौजूद किसी संपदा को नुकसान पहुंचे।