सोशल मीडिया का वायरल टेस्ट

पवन कुमार तिवारी | Navpravah Desk

हम सब जानते है कि सोशल मीडिया क्या है!  सोशल मीडिया  प्रिंट मीडिया और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह कोई ऐसा मीडिया नहीं है जो हमें देश विदेश के हाल समाचार से अवगत करता है, आज के परिपेक्ष्य में देखा जाये तो सोशल मीडिया एक तरह का प्लेटफॉर्म है जहाँ लोगों को सच और झूठ फ़ैलाने की आजादी है।  असल में सोशल मीडिया, अपने माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी,भैया -भाभी और न जाने बहुत सारे कितने रिश्तेदारों से दूर रहने वाले देशों के लोगों के लिए मनोरंजन का साधन था, तथा जहाँ लोग अपने हमउम्र के साथ अपनी मन की ब्यथा, सोच और समझ को शेयर कर सकें।

यह सच में पूछा जाये तो भारत के लिए नहीं बना था, लेकिन पश्चिमी देशों अर्थात कहा जाये तो विकसित देशों के लोगों के संपर्क में आने के  कारण और मोबाइल क्रान्ति के कारण इसने भारत देश में भी अपना बाजार बना लिया। आज आपको मालूम होगा की सैकड़ो सोशल मीडिया एप्लीकेशन उपलब्ध है जो हमसे हमारी, आजादी, माता पिता और बुजुर्गो की सेवा और देखरेख करने की आदत और कुछ मामलो में युवाओं और बच्चों की जिंदगी तक छीन रहे है।

अच्छी बात है की हमें भी आगे बढ़ना चाहिए और समझदार बनना चाहिए। सच मायने में हम समझदार बन भी गए है क्योंकि हमारे देश में लगभग करोड़  40 से 45  करोड़ स्मार्ट फ़ोन प्रयोगकर्ता है, यही आँकड़ा विकसित देशो में देखा जाय तो हमसे वह बहुत पीछे हैं, इन सब मामलो में इसका प्रत्यक्ष सम्बन्ध भारत की जनसंख्या से भी है। लेकिन अब हम बात करें कि क्या सही मायने में हम सोशल मीडिया के इस्तेमाल से शिक्षित या विकसित हो गए हैं? उत्तर यही होगा कि नहीं और आने वाले कई वर्षों तक भी नहीं होंगे,  क्योंकि आपने हाल के कुछ महिनों से वर्षो तक में देखा होगा की सोशल मीडिया का इस्तेमाल कैसे हो रहा है, कहाँ हो रहा है और क्या सामग्री डाली जा रही है।

भारत में सोशल मीडिया एक तरह से सच में विकसित देशों के उददेश्यों की पूर्ति का लिए बनाया गया जिनकी उददेश्यों की पूर्ति तो नहीं कर पाया लेकिन उसके उलट यहाँ लोगों के रिश्ते जरूर ख़तम कर दिए। आज भारत में सोशल मीडिया का इस्तेमाल दंगा भड़काने, धरना करने, बच्चों से सम्बंधित और अन्य तरह सेक्स सामग्री को एक दूसरे तक भेजने में, गलत सूचना भेजने में,  तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर किसी के शब्दों को आगे भेजने में,  और भी बहुत सारे निगेटिव समाचार को फ़ैलाने में प्रयोग हो रहा है।

“इस बात से इनकार बिलकुल नहीं कर सकते कि कुछ मामलों में यह लोगों के लिए सही भी साबित हुआ है, जिस कारण बहुत लोगों के हुनर, अदाकरी या कहें तो अभिनय जो दुनिया नहीं जानती थी उसका सही दिशा मिली है. यह प्रतिशत बहुत ही कम है अतः इस बात में ज्यादा जोर देने की जरूरत नहीं है।”

हम सभी को यह जानकारी होनी चाहिए कि सोशल मीडिया के द्वारा किसी भी तरह के अश्लील, गलत  और भड़काऊ सामग्री भेजने पर भारतीय दंड सहिता और अन्य कानूनों के तहत सख्त से सख्त सजा का प्रावधान है, अतः हमें कोई भी सामग्री भेजने से पहले अनेक प्रकार से विचार करना चाहिए, तब जाकर भेजना चाहिए। भारत के सभी सोशल मीडिया प्रयोगकर्ताओं को कोई भी मैसेज भेजने से पहले , यह सोचना चाहिए की क्या सबसे पहले यह मेरे पास आया है?  क्या मैंने इसे बनाया है ? क्या इससे पहले इसे किसी ने नहीं देखा है? नहीं सुना है ?  नहीं जानते है?  या सिर्फ मेरे पास ही यह सोशल मीडिया है ?  या सब अनपढ़ है और उन्हें नहीं पता है ?  क्या जो मेरे पास आया है उसकी सत्यता की जाँच मैंने कर ली है ?  तब जा कर कोई भी मैसेज हम आगे फॉरवर्ड करें तो अच्छा रहेगा और सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल भी होगा।

कोरोना जैसी महामारी पर कितने मैसेज आपको रोज मिल रहे हैं, उसमे मरीजों की संख्या, बचाव के तरीके ,उपलब्ध दवाईया और बहुत सारे जोक्स भी है, इसके अलावा आपने CAA , NRC, NPR  और अन्य कारणों  से  हुयी हिंसा से जुड़े कितने वीडियो और ऑडियो के साथ बहुत सारे लेख भी देखे और पढ़े होंगे,  इसके अलावा आपको दिन भर में बहुत सारे ऐसे न्यूज़ और जोक्स से सम्बंधित सामग्री भी मिल जाती होगी जो आपको कभी भी अच्छी नहीं लगती होंगी। लेकिन इन्ही कारणों से परेशान हो कर कुछ लोग अच्छे विषय और सामग्री को भी नहीं पढ़ते हैं और वह उनके मोबाइल में पड़ा रहता है, जिस कारण अच्छी और सही सामग्री को उनका उचित सम्मान नहीं मिल पता और वह आम जानमानस तक नहीं पहुंच पाती।

सोशल मीडिया का इस्तेमाल सही कारणों के लिए, सही सामग्री, सही सूचना,  सही तरीके से किया जाना चाहिए. सबसे बड़ी बात उत्प्रेरक और अहिंसात्मक सूचना के लिए करें तो यह आपके जीवन के साथ करोडो लोगों के जीवन को बदल सकता है और ऊर्जावान होने के साथ रोजगार के मौके दे सकता  है।

यदि हमें जागरूक होना है और भारत की अपनी सभ्यता-संस्कृति और आदर्शों को बचाना है तो हमें सोशल मीडिया का सही इस्तेमाल और सदुपयोग सीखना होगा नहीं तो हम बिजली, पानी, और जवानी की तरह इंटरनेट और अपने समय की भी बर्बादी भी करते रहेंगे. समय गुजर जाने पर सोचेंगे कि हमने जिंदगी में क्या किया.

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