सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
उत्तराखंड में गाय और अन्य आवारा पशुओं की सुरक्षा के लिए अब कोर्ट सामने आया है। हाईकोर्ट ने राज्य में गोहत्या पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है। उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा है कि वह राज्य में गायों और अन्य आवारा पशुओं के कल्याण के लिए ‘उनका कानूनी संरक्षक’ है।
हाई कोर्ट ने ऐसा इसलिए किया है, क्योंकि गायें और अन्य आवारा पशु खुद अपना संरक्षण नहीं कर सकते हैं, इस प्रावधान के बाद पूरे राज्य में हाई कोर्ट ने खुद को गोवंश का संरक्षक घोषित किया है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने अपने आदेश में पूरे उत्तराखंड में गाय, बैल, सांड, बछिया या बछड़े के किसी भी उद्देश्य के लिए हत्या पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है।
कोर्ट ने ‘परेन्स पैट्रिए’ सिद्धांत का इस्तेमाल करते हुए गाय और अन्य आवारा पशुओं की भलाई के लिए निर्देश जारी किए, इस सिद्धांत के तहत किसी राज्य को यह अधिकार होता है कि वह ऐसे निरीह प्राणियों के संरक्षण के लिए कानून बनाए, जो अपनी रक्षा स्वयं नहीं कर सकते हैं।
कोर्ट ने राज्य के सभी सर्किल ऑफिसर को आदेश दिया है कि 24 घंटे के भीतर यह सुनिश्चित करें कि अब किसी भी गाय की हत्या न हो, इसके अलावा कोर्ट ने यह निर्देश भी दिया है कि कोई भी पशु यदि सड़कों, चौराहों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर पाया जाता है तो उनके मालिक पर मुकदमा कायम किया जाए।
इसके अलावा हाई कोर्ट ने तीन महीने के अंदर राज्य के सभी गोशालाओं से अवैध कब्जे को हटाने और ग्रामीण इलाकों में गोहत्या रोकने के लिए 24 घंटे गश्त लगाने का भी निर्देश दिया है। कोर्ट ने सड़कों पर यातायात को सुचारु रूप से चलाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों तथा राज्य के राजमार्गों के विभाग, ग्राम पंचायतों और नगर निगमों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि सड़कों पर कोई भी आवारा पशु घूमता दिखाई न दे।