एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
दिल्ली में उपराज्यपाल अनिल बैजल और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अधिकारों के मामले में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने फैसला दिया।
जज ने कहा कि देश में लोकतांत्रिक मूल्य ही सबसे बड़ा है, चुनी हुई सरकार जनता के लिए जवाबदेह है, संविधान का सम्मान करना चाहिए, हम इससे अलग नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता है, केंद्र और राज्यों को मिलकर काम करना चाहिए, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संघीय ढांचे में राज्यों को भी स्वतंत्रता है।
उन्होंने ककैबिनेट के फैसले को लटकाना ठीक नहीं, विवाद हों तो राष्ट्रपति के पास जाना उचित है, इसलिए एलजी-कैबिनेट के बीच मतभेद की स्थिति में राष्ट्रपति के पास जाना चाहिए।
जज ने कहा कि, उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह से काम करें, इसके साथ ही पांच सदस्यीय संविधान पीठ में से तीन जजों ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर केंद्रशासित राज्यों के अलावा देश के तमाम राज्यों की निगाहें भी बनी हुई है, इस संवैधानिक पीठ में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के साथ जस्टिस एके सीकरी, जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस अशोक भूषण शामिल हैं।
वहीं 4 अगस्त, 2016 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक प्रमुख हैं और दिल्ली सरकार एलजी की मर्जी के बिना ना तो कानून बना सकती है और ना ही विधानसभा में इसे पेश कर सकती है।