एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार से सवाल किया कि यदि आपको सिर्फ नागरिकों की पहचान करनी है तो आधार योजना के अंतर्गत उनके व्यक्तिगत आंकड़ों को केन्द्रीकृत और एकत्र करने की क्या आवश्यकता है।
इस सवाल के जवाब में केंद्र सरकार ने देश की सबसे बड़ी अदालत को बताया कि आधार का डेटा 13 मीटर ऊंची और 5 मीटर चौड़ी दीवार के पीछे सुरक्षित रखा हुआ है। केंद्र ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह डेटा सेंट्रल आईडेंटिटीज रिपॉजिटरी में सुरक्षित है।
आधार डेटा की सुरक्षा को लेकर तमाम आशंकाओं को खारिज करते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कोर्ट को बताया कि यह भ्रष्टाचार खत्म करने का एक गंभीर प्रयास है।
अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केन्द्र की ओर से बहस शुरू करते हुये कहा कि मुख्य कार्यकारी अधिकारी निगरानी, आंकड़ों की सुरक्षा और उन्हें अलग रखने जैसे सभी मुद्दों पर पीठ के सवालों का जवाब देंगे। उन्होंने कहा कि इसलिए कल पावरप्वाइंट प्रजेन्टेशन की अनुमति दी जाये।
संविधान पीठ ने वेणुगोपाल से कहा कि, इसे पेश करने संबंधी विवरण वर्ड प्रारूप में दाखिल किया जाये और इस बारे में वह कल निर्णय करेगी। पीठ ने केन्द्र से सवाल किया, अगर आपका लक्ष्य पहचान करना है। तो पहचान सुनिश्चित करने के लिये इससे कम दखल वाले तरीके हैं।
पीठ ने इसके बाद सिंगापुर का उदाहरण दिया और कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को चिप आधारित पहचान पत्र लेना होता है और उसकी निजी जानकारी सरकारी प्राधिकारियों के पास नहीं बल्कि उसके ही पास रहती है।
हालांकि, पीठ ने कहा कि वह इस बारे में निर्णय करेगी और अटार्नी जनरल से कहा कि वह आधार से निजता के मौलिक अधिकार का हनन होने सहित विभिन्न मुद्दों पर अपना जवाब देना शुरू करें। पीठ ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं ने निजता, गुमनामी, गरिमा, निगरानी, संग्रह, संभावित , असंवैधानिक शर्तें, कानून का अभाव, सुरक्षा के मुद्दे उठाये हैं।
कई फैसलों का हवाला देते हुये उन्होंने कहा कि यह व्यवस्था दी गयी है कि जीने के अधिकार का मतलब सिर्फ पशु की तरह जीना नहीं है बल्कि गरिमा के साथ जीने का है इसलिए कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने की समय सीमा 31 मार्च से आगे बढ़ा कर इस मामले का फैसला होने तक कर चुका है।