प्रमुख संवाददाता,
उच्चतम न्यायालय द्वारा महाराष्ट्र में दही-हांडी उत्सव पर प्रतिंबध लगाये जाने पर शिवसेना ने अपना क्रोध व्यक्त करते हुए सीधे न्यायालय को ही चुनौती दे डाली है। शिवसेना ने स्पष्ट कहा , “हमें निर्देश देने वाले न्यायालय को इस मुद्दे पर लक्ष्मण रेखा पार नहीं करनी चाहिये। हमारे परंपरागत त्योहारों में बाधा डालने की कोशिश हुई, तो उसे सफल नहीं होने दिया जाएगा। और इस काम में शिवसेना अगुवाई करेगी। “
सेना ने सरकार पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा, “हमारे उत्सव हमारी मान्यताओं का हिस्सा हैं। लोगों ने लोकतांत्रित तरीके से अपनी सरकार चुनी है। यह काम सरकार को करने दीजिये। सरकार जानती है कि क्या सही है और क्या गलत। यदि सरकार को नकारने और लोकतंत्र की हत्या का प्रयास किया जाएगा, तो सभी मोर्चों पर राष्ट्रीय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी।”
सेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में कहा, “हिन्दुओं के त्यौहार और रीति रिवाज जारी रहेंगे। लोग हिन्दू उत्सवों के संबंध में इस प्रकार की बाधाएं लगाने के प्रयासों को विफल कर के रख देंगे क्योंकि जनता को न्यायालय का यह फैसला कतई स्वीकार नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि उच्च्तम न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि दही-हांडी की उंचाई 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिये और इसमें मानव पिरामिड बनाने वाले प्रतिभागियों की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिये। दही-हांडी उत्सव समन्वय समिति के प्रतिनिधि मंडल ने उच्चतम न्यायालय के बुधवार के निर्णय पर कल मुख्यमंत्री देवेन्द्र फड़नवीस से मुलाकात की थी।
दही-हांडी समूह का मानना है कि परंपरागत त्योहार दही-हांडी के लिए उंचाई की सीमा तय करने से इस खेल में रोमांच और साहस समाप्त हो जाएगा। फड़णवीस ने दही-हांडी प्रतिनिधि मंडल से सभी मानकों के अनुसार यह उत्सव मनाने को कहा था। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने इस तर्क को अदालत में जोरदार तरीके से नहीं रखने पर बृहस्पतिवार को सरकार की आलोचना भी की थी।