एनपी न्यूज़ नेटवर्क । Navpravah.com
भारत और फ्रांस के बीच हुए राफेल विमान सौदे पर सवाल उठाने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज अहम फैसला सुनाया है। सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए राफेल सौदे के खिलाफ दायर सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है।
सीजेआई ने कहा कि राफेल विमान सौदे में कीमतों की जांच सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है, हम कुछ लोगों की धारणा के आधार पर फैसला नहीं दे सकते हैं। राफेल सौदे में कोई धांधली या अनियमितता नहीं है, राफेल विमान की गुणवत्ता पर कोई शक नहीं है।
बता दें कि राफेल मामले में दो वकील एमएल शर्मा और विनीत ढांडा के अलावा एक गैर सरकारी संस्था ने जनहित याचिकाएं दाखिल कर सौदे पर सवाल उठाते हुए इसे रद्द करने की मांग की थी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीजेआई द्वारा तलब करने पर वायुसेना के अधिकारी भी कोर्ट पहुंचे थे, एयर वाइस मार्शल चलपति कोर्ट नंबर एक में मौजूद थे और सीजेआई रंजन गोगोई के सवालों का जवाब देते हुए बताया था कि आखिर राफेल की जरूरत क्यों है? केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि फ्रांस की सरकार ने 36 विमानों की कोई गारंटी नहीं दी है, लेकिन प्रधानमंत्री ने लेटर ऑफ कम्फर्ट जरूर दिया है।
वहीं एनडीए सरकार पर राफेल सौदे को लेकर विपक्षियों ने आरोप लगाया है कि हर विमान को करीब 1,670 करोड़ रुपये में खरीद रही है, जबकि यूपीए सरकार जब 126 राफेल विमानों की खरीद के लिए बातचीत कर रही थी, तो उसने इसे 526 करोड़ रुपये में अंतिम रूप दिया था।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गत 31 अक्टूबर को सरकार को सील बंद लिफाफे में राफेल की कीमत और उससे मिले फायदे का ब्योरा देने का निर्देश दिया था, साथ ही कहा था कि सौदे की निर्णय प्रक्रिया व इंडियन आफसेट पार्टनर चुनने की जितनी प्रक्रिया सार्वजनिक की जा सकती हो उसका ब्योरा याचिकाकर्ताओं को दें।
सरकार ने सौदे की निर्णय प्रक्रिया का जो ब्योरा पक्षकारों को दिया है, उसमें कहा गया था कि राफेल में रक्षा खरीद सौदे की तय प्रक्रिया का पालन किया गया है। 36 राफेल विमानों को खरीदने का सौदा करने से पहले डिफेंस एक्यूजिशन काउंसिल (डीएसी) की मंजूरी ली गई थी।
सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही जहां विपक्ष के कुछ सदस्य अपनी अपनी मांगों को लेकर आसन के पास आकर नारेबाजी कर रहे थे, वहीं भाजपा के सदस्य भी शीर्ष अदालत के फैसले की पृष्ठभूमि में आक्रामक दिखे। भाजपा सदस्य ‘राहुल गांधी माफी मांगो’ के नारे लगा रहे थे। संसदीय कार्य मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी सदन में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को इस मामले में माफी मांगनी चाहिए।
उल्लेखनीय है कि संसद के शीतकालीन सत्र की शुरूआत से ही कांग्रेस राफेल सौदे में अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से इसकी जांच कराने की मांग कर रही है। इसके कारण सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही है।