न्यूज़ अपडेट | Navpravah Desk
दूरदर्शन पर प्रसारित रामायण-महाभारत को लेकर विवादित टिप्पणी करना वक़ील प्रशान्त भूषण को महँगा पड़ता नज़र आ रहा है। दूरदर्शन के इन कार्यक्रमों को अफ़ीम की संज्ञा देने वाले वक़ील को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, “जिसको टीवी पर जो देखना है, देख सकता है।” प्रशांत भूषण गुजरात में दर्ज एफआईआर के खिलाफ SC पहुँचे थे। कोर्ट ने फिलहाल उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस अशोक भूषण जस्टिस संजीव खन्ना ने विडियो काँफरेंसिंग के ज़रिए की। जस्टिस अशोक भूषण ने प्रशांत भूषण की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे से कहा, “कोई भी व्यक्ति टीवी पर कुछ भी देख सकता है। उन्होंने आगे कहा कि आप कौन होते हैं कि लोग इसे नहीं देख सकते। जवाब देते हुए वक़ील दवे ने कहा कि हम टीवी पर कुछ देखने वाले लोगों पर नहीं हैं, बल्कि हम एफआईआर पर हैं।
हालाँकि न्यायालय ने भूषण की कार्यवाही एवं गिरफ़्तारी पर रोक लगाते हुए गुजरात पुलिस को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने का निर्देश भी दिया। प्रशांत भूषण को अपने इस वक्तव्य की वजह से चौतरफ़ा आलोचना झेलनी पड़ रही है।
इसी संदर्भ में वरिष्ठ पत्रकार दीपक चौरसिया ने ट्वीट कर कहा, “प्रशांत भूषण जी, आपको देश से जुड़ी विरासत और संस्कृति से इतनी दिक़्क़त क्यों होती है। आज फिर कोर्ट ने आपकी बचकानी हरकतों के चलते फटकार लगाई है। रामायण और महाभारत हमारी संस्कृति का आधार है।”
दरअसल, पिछले महीने गुजरात की राजकोट पुलिस ने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण द्वारा रामायण-महाभारत को लेकर किए गए विवादास्पद ट्वीट मामले में मुकदमा दर्ज किया था। साथ ही प्रशांत भूषण के ट्वीट का समर्थन करने और लोगों को भड़काने के आरोप में पुलिस ने एश्लीन मैथ्यू और कन्नन गोपीनाथन के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था।
ग़ौरतलब है कि प्रशांत भूषण ने 28 मार्च को ट्वीट करते हुए लिखा था, “लॉकडाउन के कारण करोड़ों भूखे और सैकड़ों घर जाने के लिए मीलों चल रहे हैं, हमारे हृदयहीन मंत्री लोगों को रामायण और महाभारत की अफीम का सेवन करने और खिलाने के लिए मना रहे हैं!”