एनपी न्यूज़ नेट्वर्क | Navpravah.com
रिटायरमेंट के एक दिन बाद, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसेफ ने कहा कि उन्हें 12 जनवरी को 4 जजों की ओर से किए गए विवादित प्रेस कांफ्रेंस को लेकर कोई पछतावा नहीं है।
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि शीर्ष अदालत की व्यवस्थाओं और परंपराओं में बदलाव आने में समय लगेगा, क्योंकि वे लंबे वक्त से मौजूद हैं। जोसेफ ने अब प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एम बी लोकूर और पूर्व न्यायाधीश जे चेलमेश्वर के साथ मिलकर एक संवाददाता सम्मेलन किया था, जिसमें शीर्ष अदालत में मामलों के आवंटन सहित गंभीर प्रश्न उठाए थे।
उन्होंने कहा कि किसी न्यायाधीश द्वारा न्यायिक शक्तियों के इस्तेमाल पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं होता है, उन्होंने कहा कि जिस तरह से नियुक्तियों में ‘‘चुनिंदा तरीके से देरी की जा रही है या इन्हें रोककर रखा जा रहा है’’ वह ‘‘एक तरीके से’’ न्याय में ‘‘हस्तक्षेप’’ है।
जोसेफ ने कहा कि, जहां तक शीर्ष अदालत की बात है तो उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्तियों और स्थानान्तरण से जुड़े ‘मैमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ (एमओपी) अंतिम रूप में है और कॉलेजियम मसौदे के अनुसार काम कर रहा है।
उन्होंने यह टिप्पणी ऐसे समय की है जब सरकार का कहना है कि एमओपी पर काम चल रहा है और इसे शीर्ष अदालत की सलाह से तैयार किया जा रहा है, जोसेफ ने कहा, जहां तक उच्चतम न्यायालय की बात है तो यह (एमओपी) अंतिम रूप में है, जहां तक सरकार की बात है तो यह अंतिम रूप में नहीं है।
पूर्व न्यायाधीश जोसफ ने कहा कि अगर पूर्व न्यायाधीशों को सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा कोई पद ‘‘उपकार स्वरूप’’ (चैरिटी) दिया जाता है तो उन्हें इसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।