चट्टान जैसे रॉक का मोम जैसा दिल

आनन्द रूप द्विवेदी | Navpravah.com

हॉलीवुड के सुप्रसिद्ध स्टार और ‘रॉक’ के नाम से मशहूर WWE के पूर्व चैम्पियन रेसलर ‘ड्वेन जॉनसन’ सिर्फ़ अपनी ताकतवर कद काठी, अभिनय के लिए ही नहीं बल्कि उदारता के कारण भी अक्सर चर्चा में रहते हैं.

हाल ही में क्रिसमस के दौरान ड्वेन ने अपने पिता रॉकी जॉनसन को एक चमचमाती मंहगी फोर्ड एसयूवी कार गिफ्ट की. दरअसल ड्वेन जॉनसन इससे पहले भी अपनी माँ को और दस साल की सेवा पूरी करने वाली अपनी घर कि नौकरानी को फोर्ड चार गिफ्ट कर चुके हैं. अपने फैन्स में भी उदार कामों के कारण अक्सर चर्चा में बने रहते हैं.

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अपने इन्स्टाग्राम में ड्वेन ने एक फोटो शेयर की जिसमें उन्होंने अपने पिता के संघर्षों की बेहद हृदय विदारक बात का ज़िक्र भी किया. बकौल ड्वेन जॉनसन, “ मेरे पिता का जीवन बेहद मुश्किलों भरा रहा है. उन्होंने कभी मुझसे बहोत ज्यादा की मांग नहीं की. हमेशा थोड़े में ही संतुष्ट रहने वाले मेरे पिता की कहानी बेहद भावनात्मक और संघर्ष से भरी हुई है. जब मेरे पिता रॉकी जॉनसन महज़ १३ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई, जिसके बाद उनकी माँ अपने बॉयफ्रेंड के साथ रहने लगी.”

आगे अपने पिता के संघर्ष का ज़िक्र करते हुए ड्वेन ने कहा, “ एक दिन क्रिसमस की शाम जब उनकी माँ का बॉयफ्रेंड शराब पीकर आया तो उसने मेरे पिता के खाने पर पेशाब कर दी. मेरे पिता बाहर गए और एक फावड़ा लेकर उन्होंने बर्फ़ से ढकी जमीन पर एक लाइन खींच कर कहा कि अगर तुमने इस लाइन को पार किया तो मैं तुम्हें जान से मार दूंगा. शराब के नशे में धुत्त उस आदमी ने लाइन को क्रॉस किया तो मेरे पिता ने उसपर बर्फ़ के टुकड़े से वार कर दिया. पुलिस को फोन किया गया. उन्होंने मेरे पिता की माँ से कहा कि जब उनका बॉयफ्रेंड होश में आयेगा तो वो उनके बेटे की हत्या कर सकता है, इसलिए उसे घर से जाना होगा. पूरे परिवार के सामने उनकी माँ ने मेरे पिता को घर से बाहर चले जाने को कहा. महज़ १३ साल की आयु में मेरे पिता एक बेघर इंसान थे. ये दुःख भरी कहानी १९५४ में कनाडा की है. तब भी मेरे पिता को थोड़े में गुजारा करने की आदत थी और आज भी है. आज मैंने अपने पिता के लिए बड़ा सा घर बनाया है. उन्हें बड़े ट्रक्स दिए हैं जिन्हें वो बड़े शौक से चलाते हैं. मैं अपने पिता की हर इच्छा पूरी करूंगा लेकिन वो मुझसे कुछ नहीं मांगते. हर क्रिसमस में मुझे उनके १३ साल की उम्र से शुरू हुए संघर्ष की बात भावुक कर देती है. जब मैं १३ साल का हुआ तो उन्होंने मुझसे जिम में कड़ी मेहनत करवाई. वो हमेशा कहते थे यदि तुम्हे कुछ पाना है तो बाहर निकलो, लेकिन यदि तुम्हे सिर्फ़ रोना है तो घर जाओ अपनी माँ के पास. तब मैं इस बात से घृणा करता था लेकिन आज मैं जो कुछ हूँ इसकी वजह से. उन्होंने मुझे काबिल इंसान बनाया वो भी बिना मेरे खाने में पेशाब किये हुए. मेरा ये तोहफा केवल उनका धन्यवाद करने का माध्यम है.मैरी क्रिसमस.”

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