अब की बार शिवसेना ने ऐलान किया है कि सरकार में रहने या नहीं रहने के संबंध में कोई भी फैसला जल्दी लिया जाएगा।
राउत ने कहा कि महंगाई से लोग त्रस्त हैं। किसानों का मुद्दा हल नहीं हुआ है। इन समस्याओं के लिए शिवसेना कतई ज़िम्मेदार नहीं है और जो भी आरोप लगाये जा रहे हैं, उसके हम भागीदार नहीं हैं।
गौरतलब है कि हाल ही में मोदी मंत्रिपरिषद के विस्तार को शिवसेना ने भाजपा का विस्तार बताया था। कारण भी पुख़्ता था। मंत्रिपरिषद विस्तार में सहयोगी दलों के किसी सदस्य को मंत्री नहीं बनाया गया था। 18 लोकसभा सांसदों वाली शिवसेना की विस्तार में अनदेखी की गई। बीएमसी में भी इस बार शिवसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। शिवसेना कई दफा भाजपा पर अपने अपमान का भी आरोप लगा चुकी है। उद्धव ठाकरे से इस बात की भी शिकायत सुनी जा चुकी है कि उन्हें अक्सर यह सुनने को मिलता है कि पीएम मोदी की वजह से ही उनके लोकसभा में 18 सांसद चुनकर आए, वरना उनकी 10 सीटें भी जीतने की औकात नहीं थी।