पीयूष चिलवाल | Navpravah.com
यूपी की योगी सरकार के मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर जनसंघ के नेता दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर करने के फैसले को गृह मंत्रालय ने हरी झंडी दिखा दी है।
जिसके बाद समाजवादी पार्टी के सांसदों ने राज्यसभा में जमकर हंगामा कर इसका विरोध किया। सरकारी नियमों के मुताबिक राज्य सरकार को किसी स्टेशन, गांव, शहर का नाम बदलने के लिए गृहमंत्रालय से एनओसी लेना अनिवार्य होता है।
चूंकि बीजेपी इस वर्ष पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी मना रही है तो योगी सरकार ने मुगलसराय के मुख्य मार्ग को दीनदयाल के नाम पर करने और प्रमुख चैराहे पर उनकी मूर्ति लगाने और उसका नाम दीनदयाल चैक रखने का फैसला किया है।
1968 में दीनदयाल उपाध्याय का शव संदिग्ध हालत में मुगलसराय स्टेशन पर मिला था। पुलिस उनके शव को लावारिस मानकर चल रही थी तभी स्टेशन पर कुछ लोगों को पंडित दीनदयाल का शव होने का शक हुआ। जिसके बाद सर संघचालक गोलवरकर और अटल बिहारी वाजपेयी मुगलसराय आए और दीनदयाल उपाध्याय के पार्थिव शरीर को लेकर दिल्ली गए, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया।
वहीं स्थानीय लोगों की मांग है कि मुगलसराय को लाल बहादुर शास्त्री के नाम पर होना चाहिए क्यूंकि यह उनकी जन्मभूमि है।
इससे पूर्व गुड़गांव का नाम भी बदलकर गुरूग्राम किया गया है।