न्यूज डेस्क | navpravah.com
आइजोल | मिज़ोरम के लिए आज का दिन इतिहास के पन्नों में दर्ज होने वाला है। आज़ादी के पूरे 77 वर्ष बीत जाने के बाद पहली बार राज्य की राजधानी आइजोल देश के विस्तृत रेल नेटवर्क से जुड़ने जा रही है। यह न केवल मिज़ोरम के विकास की दृष्टि से एक बड़ा कदम है, बल्कि पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।
बैराबी से आइजोल तक पहली ट्रेन-
नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे से मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कपिंजल किशोर शर्मा ने नवप्रवाह मीडिया नेटवर्क से बात की। उन्होंने बताया कि अब तक मिज़ोरम के लोग केवल बैराबी रेलवे स्टेशन तक ही रेल सुविधा का लाभ उठा पाते थे, जो असम-मिज़ोरम सीमा पर स्थित है। लेकिन अब बैराबी-साईरंग रेल लाइन पूरी हो जाने के बाद राजधानी आइजोल तक ट्रेनों का संचालन संभव हो पाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही इस ऐतिहासिक परियोजना का उद्घाटन करने वाले हैं, जिसके बाद दिल्ली से सीधे आइजोल तक रेल यात्रा संभव होगी।
दुर्गम इलाकों में इंजीनियरिंग का चमत्कार-
बैराबी-सैरांग रेल लाइन मात्र 51.38 किलोमीटर लंबी है, किंतु इस छोटे से सफर में रेल को 50 सुरंगों और 150 से अधिक पुलों से गुजरना होगा। कल्पना कीजिए, हर एक किलोमीटर पर एक सुरंग और हर तिहाई किलोमीटर पर एक पुल! यह अपने आप में इंजीनियरिंग का चमत्कार है।
मुख्य अभियंता विनोद कुमार के अनुसार, इस परियोजना की सबसे बड़ी चुनौती थी – भौगोलिक परिस्थितियां। घने जंगल, लगातार बारिश, और भूस्खलन इस परियोजना के लिए बाधा बने रहे। समुद्र तल से 81 मीटर ऊंचाई पर पुलों का निर्माण करना किसी परीक्षा से कम नहीं था।
मौसम और भूगोल बने चुनौती-
मिज़ोरम में साल के लगभग 8 महीने बारिश रहती है। ऐसे में रेलवे इंजीनियरों को मुश्किल से चार-पाँच महीनों का ही समय कार्य के लिए मिल पाता था। वह भी तब, जब मौसम साथ दे। कई बार बारिश या भूस्खलन के कारण कार्य हफ्तों तक ठप रहा।
करीब दो वर्षों तक तो निर्माण सामग्री पहुँचाने तक में अड़चनें आईं, क्योंकि संकरी सड़कों पर अक्सर भूस्खलन हो जाता था। बाद में कार्ययोजना बदली गई और राज्य सरकार व एजेंसियों के सहयोग से परियोजना को गति मिली।
मिज़ोरम के लिए नए विकास के द्वार-
इस रेल लाइन का बनना मिज़ोरम की अर्थव्यवस्था, पर्यटन और सामरिक दृष्टिकोण से बेहद अहम है।
अर्थव्यवस्था: अब माल परिवहन सस्ता और आसान होगा। स्थानीय उत्पाद—बांस, फल, हस्तशिल्प—देशभर में तेज़ी से पहुँच पाएंगे।
पर्यटन: मिज़ोरम की नैसर्गिक सुंदरता अब सीधे रेलमार्ग से जुड़ जाएगी। इससे पूर्वोत्तर को देखने आने वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
रणनीतिक महत्व: मिज़ोरम अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से घिरा है। रेल कनेक्टिविटी से सीमाई इलाकों की सुरक्षा और रसद व्यवस्था और भी मज़बूत होगी।
एक प्रतीकात्मक बदलाव-
यह परियोजना केवल रेल लाइन का निर्माण नहीं है, बल्कि यह पूर्वोत्तर भारत को “मेन्स्ट्रीम इंडिया” से जोड़ने का एक प्रतीक है। लंबे समय से यह इलाका बुनियादी ढांचे की कमी और दूरी की वजह से बाकी देश से कटा-कटा महसूस करता था। लेकिन अब यह रेलवे लाइन न सिर्फ यात्रियों के लिए सुविधाजनक होगी, बल्कि मिज़ोरम को राष्ट्रीय आर्थिक परिदृश्य में और सशक्त स्थान दिलाएगी।