ब्यूरो,
एमआईएम (ऑल इंडिया मजलिसे एत्तेहादुल मुस्लिमीन) अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने भारतीय जनता पार्टी पर समान नागरिक संहिता के नाम पर भारत को ‘हिंदू राष्ट्र’ बनाने के प्रयास का आरोप लगाया है। ओवैसी ने संवाददाताओं से बात करते हुए भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा दरअसल राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एजेंडा को लागू करने की कोशिश कर ही है, क्योंकि वह चुनावों के दौरान किए गए वादों को पूरा करने में असफल रही है।
ओवैसी ने पूछा, “हिंदू संयुक्त परिवार को कर छूट मिलती है। क्या आप उसे हटानेवाले हैं?” उन्होंने सवाल उठाया कि क्या सरकार धारा 371 को हटा सकती है जो मिजोरम और नागालैंड को सांस्कृतिक सुरक्षा व अधिकार देती है?
ओवैसी ने इसके अलावा एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) द्वारा गिरफ्तार 5 युवाओं को कानूनी सहायता उपलब्ध कराने संबंधी बयान पर सफाई देते हुए कहा कि मीडिया ने उसे गलत ढंग से दिखाया। अपनी सफाई में उन्होंने कहा,”अगर मैं उन्हें कानूनी सहायता नहीं दूंगा तो अदालत उनके लिए वकील की नियुक्ति करेगी ही। हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली में सभी आरोपियों को कानूनी सहायता पाने का हक है और हमारे देश की न्यायपालिका इसी तरह से काम करती है।” उन्होंने कहा, “अदालत इस बात का फैसला करेगी कि वे दोषी हैं या निर्दोष हैं और हर किसी को अदालत का फैसला स्वीकार करना होगा।”
ओवैसी ने कहा, “आईएस एक आतंकवादी संगठन है और इस पर कोई दो राय नहीं हो सकती। सभी इस्लामिक विद्वानों ने उसकी आलोचना की है।” उन्होंने दोहराया कि अगर एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए युवा अदालत में निर्दोष साबित होते हैं तो उनको गिरफ्तार करनेवाले अधिकारियों को निलंबित करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसे बहुत सारे मामले हैं जिसमें मुस्लिम युवाओं को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन अदालत से वे बरी हुए हैं। उन्होंने अक्षरधाम हमले और मालेगांव हमले में गिरफ्तार किए गए मुस्लिम युवाओं का हवाला दिया, जिन्हें अदालत ने निर्दोष बरी किया था। उन्होंने पूछा, “उनके जीवन का कीमती समय जेल और अदालत का चक्कर लगाते बीता, क्योंकि वे मुस्लिम थे। उसके लिए कौन जिम्मेदार है?”