सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ का चुनाव घोषित हो गया है, जिसके बाद छात्र नेताओं ने प्रचार प्रसार में पूरी ताकत लगाना शुरू कर दी है, विश्वविद्यालय प्रशासन भले ही चुनाव आचार संहिता की दुहाई दे रहा होगा, लेकिन छात्र नेता आचार संहिता का उल्लंघन आराम से कर रहे हैं।
विश्वविद्यालय में छात्रसंघ चुनाव को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन सहित जिला प्रशासन की भी तैयारियां जोरों पर है, लेकिन छात्र नेताओं पर फर्क नहीं पड़ रहा। विश्वविद्यालय कैम्पस सहित आस पास और शहर के सभी प्रमुख स्थानों और चौराहों पर संभावित प्रत्याशियों ने अपने होल्डिंग और बैनर से पूरे इलाके को पाट दिया है।
छात्रसंगठन भी राजनीतिक दलों की तरह छात्र-छात्राओं से विश्वविद्यालय से जुड़े मुद्दों पर वादे करते घूम रहे हैं। छात्रनेता छात्रों का हक दिलाना और उनके हक की लड़ाई लड़ने के बड़े-बड़े वादों के साथ प्रचार कर रहे हैं। छात्र संघ चुनाव भी विधान सभा और लोक सभा की तरह लड़े जा रहे है।
विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से छात्र संघ चुनाव एक बार लड़ने की बाध्यता के कारण जितने वाले प्रत्याशी छात्र हित के मुद्दों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों और जवाबदेही को नहीं समझते है और वह अपनी जीत के बाद अपनी धुन में जी रहे है, अगर बीते दो कार्यकाल की बात करे तो पदाधिकारियों का ज्यादा समय विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ लड़ाई में ही बीत रहा है।