सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फरमान जारी किया है कि गैरकानूनी तौर पर रह रहे 40 हज़ार रोहिंग्या देश से बाहर निकाले जाएंगे, रोहिंग्या मुसलमान देश में अलग-अलग जगहों पर रह रहे हैं और अब समस्या बनते जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार, ज्यादातर रोहिंग्या मुसलमान इस वक्त जम्मू कश्मीर, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रहते हैं। गृह मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस समय यूएनएचसीआर के पास भारत में रह रहे 14,000 से अधिक रोहिंग्या के बारे में जानकारी मौजूद है।
अवैध विदेशी नागरिकों का पता लगाना और उन्हें वापस भेज देना एक निरंतर प्रक्रिया है, केंद्र सरकार यानी गृह मंत्रालय विदेशी अधिनियम 1946 की धारा 3(2) के तहत अवैध विदेशी नागरिकों का पता लगाने और उन्हें वापस भेजने के लिए मिले अधिकार के आधार पर उन्हें भेजने की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।
राज्य सरकारों और वहां के प्रशासन को भी रोहिंग्या सहित अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों की पहचान करने उन्हें रोकने और उन्हें वह वापस भेजने की शक्तियां दी गई हैं।
म्यांमार सरकार ने 1982 में राष्ट्रीयता कानून बनाया था, जिसमें रोहिंग्या मुसलमानों का नागरिक दर्जा खत्म कर दिया गया था। जिसके बाद से ही म्यांमार सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को देश छोड़ने के लिए मजबूर करती आ रही है।
2012 में म्यांमार के राखिन राज्य में हुए सांप्रदायिक दंगों ने इसमें हवा देने का काम किया, उत्तरी राखिन में रोहिंग्या मुसलमानों और बौद्ध धर्म के लोगों के बीच हुए इस दंगे में 50 से ज्यादा मुस्लिम और करीब 30 बौद्ध लोग मारे गए थे। इसी क्रम में कई रोहिंग्या मुसलमान भारत में भी घुस आये थे और अब केंद्र सरकार इन पर एक्शन लेने के मूड में हैं।