एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत की वजह को अंधविश्वास में ‘आस्था’ और ‘मोक्ष’ की चाह के रूप में देखा जा रहा है। भारत में संभवतया ऐसा पहली बार हुआ है जब इस तरह के किसी धार्मिक अंधविश्वास के कारण एक साथ 11 लोगों की कथित रूप से खुदकुशी के कारण मौतें हुई हैं। इस कारण कई लोगों को ये बात गले से उतर नहीं रही है। कि यह पहली बार हुआ है। लेकिन ऐसे ही दुनिया में कई घटनाये सामने आई है। जिन्होंने लोगों को हैरत में डाल दिया। दक्षिणी अमेरिकी देश गुयाना में 1970 के दशक में घटित हुई जब 900 से भी ज्यादा लोगों ने सामूहिक रूप से खुदकुशी की। इतिहास में इसको जोंसटाउन नरसंहार के रूप में जाना जाता है।
अमेरिका में जिम जोंस नाम के धार्मिक नेता ने 1950 के दशक में इंडियाना प्रांत में पीपुल्स टेंपल धार्मिक समुदाय की स्थापना की। कुछ ही सालों में यह बहुत इसके सैंकड़ों-हजारों अफ्रीकी-अमेरिकी अनुयायी बन गए। 1970 की शुरुआत में अमेरिका में इस पर शारीरिक उत्पीड़न, बाल शोषण, वित्तीय फ्रॉड जैसे कई किस्म के आरोप लगने शुरू हो गए। लिहाजा अमेरिका छोड़कर दक्षिण अमेरिका के गुयाना में इसने एक निर्जन स्थान जोंसटाउन में अपना ठिकाना बनाया।
इसने अपने अनुयायियों से कहा कि यह इस जगह को ईश्वसरीय स्थल में बदल देगा। वह खुद को मसीहा कहता था और मस्तिष्क पर नियंत्रण के तरीकों से अपने अनुयायियों का ब्रेनवॉश करता था। ये जोंसटाउन तकरीबन 3800 एकड़ में फैला था। इसका निर्माण 1974 में शुरू हुआ और 1977 तक यह बना। जोंसटाउन बनने के बाद जब यह जगह ईश्वसरीय स्थल में तब्दील नहीं हुई और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा तो उनमें से कुछ का मोहभंग होना शुरू हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि उनका जबरन शोषण हो रहा है और उनके बच्चों को कैद कर के रखा गया है। ऐसे कई ‘भक्तों’ ने अमेरिकी सांसद लियो रेयान से पूरे मामले की जांच करने का आग्रह किया।
अमेरिकी सांसद लियो रेयान अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ इस मामले की जांच के लिए 17 नवंबर, 1978 को जोंसटाउन पहुंचे। वहां जिम जोंस की पत्नी ने उनको जोंसटाउन दिखाया। उस दिन तो सब कुछ ठीक-ठीक रहा। लेकिन अगले दिन जब लियो रेयान जाने लगे थे तभी कुछ अनुयायी वहां पहुंचे और कहने लगे कि वे यहां के जीवन से तंग है और घर वापस लौटना चाहते हैं। इससे वहां मौजूद जिम जोंस को गुस्सा आ गया। जिम के एक समर्थक ने सांसद रेयान पर पहले चाकू से हमला कर दिया। लेकिन वह किसी तरह बचकर वहां से भाग निकले। पर जब वह अपने विमान में बैठने वाले थे तभी जोंस के लोगों ने उनकी हत्या कर दी। क्योकि जोंस को पता था कि अब अमेरिकी कार्रवाई होना तय है।
फिर उसने अनुयायियों को एक पैवेलियन में इकठ्ठा किया। उसने सभी से कहा कि यदि उन लोगों ने आत्महत्या नहीं की तो अमेरिकी सैनिक उनको और बच्चों को कत्ल कर देंगे। उसने लोगों से यह वादा भी किया वह मरकर एक बेहतर दुनिया में जाएंगे। लिहाजा एक बड़े से टब में अंगूर के फ्लेवर में सॉफ्ट ड्रिंक को भरा गया। उसमें सायनाइड जैसे खतरनाक जहर को मिलाया गया। उसको सबको पीने को दिया गया। इस तरह 900 से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं। इनमें से एक तिहाई बच्चे थे।
वही जो लोगो ने जहर पीने से इनकार किया तो उनको बंदूक दिखाकर जबर्दस्ती जहर पिलाया गया। जिम जोंस ने खुद जहर नहीं पिया। जब उसकी लाश मिली तो उसके सिर पर गोली का निशान था। कहा जाता है कि उसने किसी से कहकर अपने ऊपर गोली चलवाई। इस पूरे घटनाक्रम में 900 से अधिक लोगों की एक साथ जान गई। अमेरिकी इतिहास में यह 9/11 अमेरिकी आतंकी हमले के बाद यह सबसे बड़ी घटना है, जिसमें एक साथ इतने लोगों की जान गई|