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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगने के बाद से ही कांग्रेस में खलबली मच गई है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शकील अहमद ने तो इस निर्णय को लोकतंत्र की हत्या भी करार दिया. वहीं कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी इस निर्णय को लेकर दुखी है और वे इसको न्यायालय में चुनौती देंगे.
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लागू होते ही तमाम प्रश्न सामने आने लगे हैं. सबसे ज्वलंत प्रश्न यह है कि यह फैसला इतनी जल्दी क्यों लिया गया. कॉंग्रेसी नेताओं का तर्क यह है कि 28 तारीख को रावत सरकार विधानसभा में अपना बहुमत पेश करता लेकिन झटपट राष्ट्रपति शासन की प्रक्रिया को पूरा कर इसे अंजाम दे दिया गया. एक वरिष्ठ कॉंग्रेसी नेता ने कहा कि भाजपा को मालूम था कि कांग्रेस अपना बहुमत सिद्ध कर लेता इसलिए ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है.
राष्ट्रपति शासन के लागू होते ही बीजेपी और कॉग्रेसी नेतां की बयानबाज़ी थमने का नाम नहीं ले रही है. इस मामले में हरीश रावत ने कहा कि यह संविधान और लोकतंत्र की हत्या है वही सलमान खुर्शीद ने इसे असंवैधानिक बताते हुए स्पष्ट किया कि वे इस मामले के हिलाफ न्यायाय में अपील करेंगे. हालाँकि बीजेपी के वरिष्ठ नेता मानते हैं कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है.