एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
हींग का प्रयोग स्वादिष्ट मसाला आमतौर पर स्वाद, खाद्य संरक्षण और सुगंध के लिए फ़ारसी और भारतीय खाना पकाने में किया जाता है। हींग प्रोटीन, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, लौह, नियासिन और कैरोटीन से परिपूर्ण है।
हींग पारंपरिक दवा में एक प्रमुख स्थान भी रखता है, इसके स्वास्थ्य लाभ का श्रेय इसके एंटी-वायरल, एंटी-बायोटिक, एंटी-ऑक्सिडेंट, ए मूत्रवर्धक और एंटी-कार्सिनोजेनिक गुणों को जाता है।
हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में डालने के लिए किया जाता है इसलिए इसे `बघारनी´ के नाम से भी जाना जाता है, हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है।
हींग के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वहीं दूध पेड़ पर सूखकर गोंद बनता हैं उसे निकालकर पत्तों या खाल में भरकर सुखा लिया जाता है, सूखने के बाद वह हींग के नाम से जाना जाता है।
हींग पुट्ठे और दिमाग की बीमारियों को खत्म करती है जैसे मिर्गी, फालिज, लकवा आदि, हींग आंखों की बीमारियों में फायदा पहुंचाती है, खाने को हजम करती है, भूख को भी बढ़ा देती है।
हींग गरमी पैदा करती है और आवाज को साफ करती हैं, हींग का लेप घी या तेल के साथ चोट और बाई पर करने से लाभ मिलता है तथा हींग को कान में डालने से कान में आवाज़ का गूंजना और बहरापन दूर होता है।
हवा से लगने वाली बीमारियों को भी हींग मिटाती है, हींग हलकी, गर्म और और पाचक है, यह कफ तथा वात को खत्म करती है, हींग हलकी तेज और रुचि बढ़ाने वाली है, हींग श्वास की बीमारी और खांसी का नाश करती है। इसलिए हींग एक गुणकारी औषधि है।