डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Cinema Desk
सिनेमा ने बहुत धीरे-धीरे मनोरंजन का साधन मात्र होने से कलात्मक अभिव्यक्ति के सशक्त माध्यम के रूप में स्वीकृत होने तक की यात्रा तय की है। इस माध्यम के अंतर्गत भी विविध शैलियों और विधाओं की स्थापना होती रही है। रोमांटिक फ़िल्में, पारिवारिक फ़िल्में, सामाजिक फ़िल्में, कॉमेडी फ़िल्में और भी कई प्रकार की फ़िल्में बनती रही हैं। गैंग्स्टर फ़िल्मों को हमेशा से हर दर्शक वर्ग ने, हर देश में, बहुत पसंद किया है। दुनिया की पहली गैंग्स्टर फ़िल्म थी, “द ग्रेट ट्रेन रॉबरी”।
“द ग्रेट ट्रेन रॉबरी”, 1903 में आई थी और अपने दौर की बाक़ी फ़िल्मों की तरह, मूक फ़िल्म थी। इसके लेखक, निर्माता और निर्देशक, एडविन सैन्टोन पोर्टर थे। ये फ़िल्म 12 मिनट की मूक फ़िल्म थी और एडिसन कंपनी द्वारा वितरित की गई थी, जो कि मशहूर आविष्कारक, टॉमस एल्वा एडिसन की कंपनी थी। 1896 में स्कॉट मार्बल द्वारा लिखे गए एक नाटक का ही रूपांतरण थी ये फ़िल्म।
इस फ़िल्म में एक ट्रेन में की गई डकैती को दिखाया गया है। दो लोग एक टेलीग्राफ़ ऑफ़िस में घुस कर, बंदूक दिखाकर, ट्रेन रुकवाते हैं, फिर उस आदमी को बांध देते हैं। ट्रेन को लूटने के समय, दो और लोग उनसे आ कर जुड़ते हैं और लूट के बाद वे मार दिए जाते हैं। इससे पहले टेलीग्राफ ऑफ़िस वाले मुलाज़िम की बेटी आ कर उसके बंधन खोल दिए होते हैं ।
फ़िल्म के अंत में, अभिनेता जस्टस डी० बार्नस स्क्रीन पर आते हैं और दर्शकों की तरफ पिस्तौल कर के गोली चला देते हैं। जेम्स बॉण्ड की फ़िल्मों में गोली चलाने का अंदाज़ यहीं से लिया गया है।
देखें फ़िल्म:
1915 में आई फ़िल्म “द बर्थ ऑफ़ ए नेशन”, के पहले मूक सिनेमा के दौर में “द ग्रेट ट्रेन रॉबरी” ही सबसे कामयाब फ़िल्म रही। इसे अभी भी पश्चिम की पहली सुपरहिट फ़िल्म माना जाता है।
इस फ़िल्म में गैंग्स्टर और उनका व्यवहार बहुत ही बारीक तरीके से दिखाया गया था और इसके बहुत बाद तक फ़िल्मों में गैंग्स्टर्स को ऐसे ही दिखाया जाता रहा।
(लेखक जाने-माने साहित्यकार, स्तंभकार, व शिक्षाविद हैं.)