अमित द्विवेदी | navpravah.com
लॉकडाउन में विभिन्न प्रदेशों में फंसे मज़दूर अपने वतन पलयान करने को मजबूर हो गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मजदूरों के पलायन को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि मजदूरों का पलायन स्वाभाविक है, लेकिन साथ ही एक बड़ा खतरा हम सबके सामने आता नज़र आ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्यों के सामने पलायन से एक बड़ा खतरा सामने आ सकता है।
पलायन को लेकर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि कोरोना गाँव तक पहुंच गया, तो संकट गहरा सकता है। इस सम्बन्ध में आज प्रधानमंत्री ने विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बात की। वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिये हुई इस बैठक में देश में कोरोना के चलते निर्माण हुई स्थिति पर विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे समेत सभी राज्यों के मुख्यमंत्री बैठक में उपस्थित थे। तीसरे लॉकडाउन की घोषणा करने के बाद मजदूरों के पलायन का मुद्दा तीव्र हो गया।
घर जाना मानव स्वभाव-
मुख्यमंत्रियों से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों का घर जाना स्वाभाविक है, क्योंकि घर जाना मानव स्वभाव है। पीएम मोदी ने कहा, “मैं मजदूरों की घर जाने की आवश्यकता को समझ सकता हूं। तालाबंदी के बाद, हमने ‘जो लोग जहां है वहीं रहे’ इस पर जोर दिया था। लेकिन घर जाना मानव स्वभाव है। इसलिए हमें कुछ फैसले बदलने पड़े। अब मजदूर अपने गांव जा रहे है, कई मज़दूर घर पहुंच गए है। लेकिन हमारे सामने एक बड़ा संकट है। कोरोना गांव तक पहुंचेगा यह हमारे सामने बड़ी चुनौती है।”
बैठक में मोदी ने कोरोना के बारे में सभी राज्यों की भूमिकाएं जान ली। वहीं कोरोना के कारण विभिन्न राज्यों में बनी स्थिति की समीक्षा की। इससे अब 17 मई के बाद लॉकडाउन के बारे में फैसला लिया जा सकता है।
वर्तमान मे महाराष्ट्र के मुंबई और कुछ शहरों की स्थिति गंभीर है। इसलिए बाकी राज्यों में लॉकडाउन में ढील देने की बात की गई। इसके साथ ही मोदी ने मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, मालेगांव, नागपुर और अन्य हॉटस्पॉट शहरों में कोरोना का प्रसार रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों पर भी मार्गदर्शन दिया।