45 साल बाद भारत और चीन सीमा पर चली गोलियां

न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
यह पहलेवाला भारत नहीं है, यह नया भारत है. वह दिन लद गए, जब कोई हमारी सीमाओं का अतिक्रमण करे और हम देखते रह जाए. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा भी है, जब शांति चाहते हैं, लेकिन यदि कोई हमें छेड़ेगा, तो हम चुप भी नहीं बैठेंगे. इसका नजारा सोमवार को भारत-चीन सीमा पर देखने को मिला. लद्दाख में पैंगॉन्ग झील के दक्षिणी किनारे पर भारत और चीन के बीच फायरिंग की खबर है। चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता के मुताबिक भारतीय सैनिकों ने 7 सितंबर को पैंगॉन्ग त्सो के दक्षिणी किनारे पर एलएसी पार कर घुसपैठ की कोशिश की है। चीन का ये भी दावा है कि भारतीय सेना ने लाइन ऑफ कंट्रोल (एलएसी) पार करने के बाद हवाई फायर भी किए। चीनी सेना के बयान के मुताबिक भारतीय सेना ने शेनपाओ इलाके में एलएसी पार की और जब चीनी सेना की पेट्रोलिंग पार्टी भारतीय जवानों से बातचीत करने के लिए आगे बढ़ी तो उन्होंने जवाब में वॉर्निंग शॉट किए यानी हवा में गोली चलाई। हालांकि, भारतीय सेना ने अब तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक दोनों सेनाओं के बीच सोमवार को फायरिंग हुई है।
चीन के सैनिक आगे बढ़कर भारतीय इलाके में कब्जे की कोशिश कर रहे थे। वो भारतीय सेना की लोकेशन के काफी नजदीक आ रहे थे। भारतीय सेना ने उन्हें पीछे हटने को कहा। बहस बढ़ी और भारतीय सेना को चेतावनी देते हुए हवाई फायर करना पड़ा। ये इलाका रेचन ला है। सूत्रों के मुताबिक इस झड़प के दौरान एक दो नहीं बल्कि कई राउंड फायरिंग हुई। चीन के सैनिकों ने भी फायर किया। हालांकि, ये अब तक साफ नहीं हो पाया है कि पहले चीन के सैनिकों ने फायरिंग की या भारत के जवानों ने। इस फायरिंग के बाद चीन के सैनिक अपनी लोकेशन पर लौट गए। फिलहाल हालात सामान्य हैं।
इससे पहले, 1 सितंबर को भारत में चीनी दूतावास ने बयान जारी कर आरोप लगाया था कि भारतीय सैनिकों ने पैंगॉन्ग सो झील के दक्षिणी तट पर फिर से एलएसी क्रॉस की। चीनी सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड के प्रवक्ता कर्नल झांग शुइली ने यह भी कहा है कि भारत अपने सैनिकों को नियंत्रित करे। उनके मुताबिक जब चीन के बॉर्डर गार्ड्स ने भारतीय सैनिकों को रोका तो उन्होंने गोली चलाई। जिसके बाद पीएलए के सैनिकों को स्थिति को संभालना पड़ा। न्यूज एजेंसी एएनआई ने भी सूत्रों के हवाले से एलएसी पर फायरिंग होने की बात कही है।
दोनों देशों की सीमा पर इससे पहले 45 साल पहले गोली चली थी। 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में चीन ने असम राइफल की पैट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से एम्बुश लगाकर हमला किया था। इसमें भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। वहीं इसी साल जून में गलवान में दोनों देशों के बीच हुई झड़प में हमारे 20 सैनिकों की शहादत हुई थी। हालांकि गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के दौरान भी चीनी और भारतीय जवानों की ओर से गोलियां नहीं चलाई गई थीं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.