“दिल्ली के तख्त की जंग: 3PM फॉर्मूले में छिपा नया मुख्यमंत्री, किसके सिर सजेगा ताज?”

नृपेंद्र कुमार मौर्य| navpravah.com 

नई दिल्ली | यह एक दिलचस्प और हाई-वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा है! दिल्ली की राजनीति में जब भी कोई बड़ा बदलाव होता है, तो पूरे देश की नजरें इस पर टिक जाती हैं। इस बार भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है। बीजेपी ने दिल्ली में बड़ी जीत दर्ज की है, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर राजधानी की कमान किसे सौंपी जाएगी?

इस बीच एक रहस्यमय ‘3PM’ फॉर्मूला चर्चा में है। कहा जा रहा है कि नए मुख्यमंत्री का नाम इसी कोड में छिपा हुआ है। लेकिन यह 3PM फॉर्मूला आखिर है क्या? क्या वाकई इसमें सीएम के नाम का कोई इशारा छिपा है या फिर यह सिर्फ एक अफवाह है? आइए इस कोड को डिकोड करते हैं और जानते हैं कि दिल्ली की सत्ता की चाबी किसके हाथ में आ सकती है।

3PM फॉर्मूला: दिल्ली के नए मुख्यमंत्री की गूढ़ पहेली!

दिल्ली में इस बार बीजेपी ने चमत्कारिक जीत हासिल की है। आम आदमी पार्टी (AAP) के गढ़ में सेंध लगाकर उसने यह साबित कर दिया कि मोदी लहर अभी भी कायम है। लेकिन अब जब बीजेपी सत्ता में आ रही है, तो बड़ा सवाल यह है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? इस बीच एक रहस्यमय ‘3PM’ फॉर्मूला सामने आया है। कहा जा रहा है कि इसी कोड में सीएम का नाम छिपा हो सकता है।

तो आखिर क्या है यह 3PM?

इस कोड में तीन ‘P’ शामिल हैं और कहा जा रहा है कि इन्हीं में से कोई एक दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बन सकता है। इन तीन P के पीछे तीन अलग-अलग सामाजिक और राजनीतिक समीकरण काम कर रहे हैं। चलिए, इस पहेली को एक-एक करके खोलते हैं।

पहला P: प्रवेश वर्मा – जाट शक्ति का परचम?

‘3PM’ के पहले ‘P’ का मतलब प्रवेश वर्मा हो सकते हैं। प्रवेश वर्मा वही शख्स हैं, जिन्होंने दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) के सबसे बड़े चेहरे अरविंद केजरीवाल को शिकस्त दी है। जाट समुदाय से ताल्लुक रखने वाले प्रवेश वर्मा को मुख्यमंत्री पद का सबसे मजबूत दावेदार माना जा रहा है।

प्रवेश वर्मा क्यों हो सकते हैं CM?

  1. जाट वोट बैंक – इस चुनाव में जाट समुदाय ने बीजेपी को दिल खोलकर समर्थन दिया है। जाट बहुल इलाकों में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया है।
  2. केजरीवाल को हराने का क्रेडिट – दिल्ली की राजनीति में अगर किसी ने सबसे बड़ी सेंधमारी की है, तो वह प्रवेश वर्मा ही हैं।
  3. युवाओं में लोकप्रियता – युवा नेताओं में प्रवेश वर्मा की छवि मजबूत रही है और बीजेपी इस फैक्टर को भुनाना चाहती है।

लेकिन प्रवेश वर्मा को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है?

  1. अनुभव की कमी – प्रवेश वर्मा अपेक्षाकृत युवा नेता हैं और प्रशासनिक अनुभव बहुत ज्यादा नहीं है।
  2. दिल्ली की सियासत में नई एंट्री – जाट समुदाय की मजबूत पकड़ के बावजूद प्रवेश वर्मा दिल्ली की राजनीति में ज्यादा समय से सक्रिय नहीं रहे हैं।

दूसरा P: पूर्वांचली – बिहार चुनाव की बिसात?

‘3PM’ के दूसरे P का मतलब है – पूर्वांचली समुदाय। दिल्ली में पूर्वांचलियों की आबादी काफी बड़ी है और राजनीतिक दलों के लिए यह वोट बैंक बेहद महत्वपूर्ण है। बीजेपी इस समुदाय को साधने के लिए मुख्यमंत्री पद किसी पूर्वांचली नेता को देने पर विचार कर सकती है।

पूर्वांचली चेहरे के रूप में सबसे आगे कौन है?

अभय वर्मा – पूर्वांचली समुदाय से आने वाले अभय वर्मा का नाम इस रेस में सबसे आगे चल रहा है।

अभय वर्मा क्यों हो सकते हैं CM?

  1. पूर्वांचली वोट बैंक को साधने का मौका – दिल्ली में 30-35% आबादी पूर्वांचली है, जो किसी भी चुनाव को प्रभावित कर सकती है।
  2. बिहार चुनाव की रणनीति – अगले साल बिहार में विधानसभा चुनाव हैं। अगर दिल्ली में कोई पूर्वांचली सीएम बनता है, तो इसका असर बिहार के चुनावों पर भी पड़ेगा।
  3. आप और कांग्रेस को झटका – आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पूर्वांचली वोटर्स को लुभाने के लिए कई वादे किए थे, लेकिन बीजेपी ने इस बार इन वोटर्स को अपनी ओर खींच लिया।

तीसरा P: पंजाबी – AAP के दूसरे गढ़ पर हमला?

तीसरे P का मतलब पंजाबी समुदाय हो सकता है। दिल्ली में पंजाबी मूल के वोटर्स की अच्छी-खासी संख्या है। बीजेपी अगर पंजाबी नेता को सीएम बनाती है, तो इससे उसे दो बड़े फायदे हो सकते हैं –

  1. दिल्ली में पंजाबी वोटर्स को मजबूत करना
  2. पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए रणनीतिक बढ़त

इस लिस्ट में कौन सबसे आगे है?

  1. आशीष सूद – बीजेपी के मजबूत पंजाबी चेहरे के रूप में उभरे हैं।
  2. मनजिंदर सिंह सिरसा – अकाली दल से बीजेपी में आए मनजिंदर सिंह सिरसा को भी सीएम की रेस में देखा जा रहा है।

अगर बीजेपी किसी पंजाबी को सीएम नहीं भी बनाती, तो भी मंत्री पद पर पंजाबी चेहरा देना लगभग तय माना जा रहा है।

महिला कार्ड: रेखा गुप्ता की एंट्री?

इस बार महिला वोटर्स ने बीजेपी को जबरदस्त समर्थन दिया है। महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों से अधिक थी, और इस फैक्टर को देखते हुए बीजेपी महिला मुख्यमंत्री का कार्ड भी खेल सकती है।

महिला चेहरे के रूप में कौन आगे?

रेखा गुप्ता – वैश्य समाज से आने वाली रेखा गुप्ता का नाम इस दौड़ में सबसे आगे चल रहा है।

क्यों बन सकती हैं रेखा गुप्ता CM?

  1. महिला वोटर्स को साधने का बड़ा दांव – बीजेपी महिला सीएम बनाकर अपने प्रति महिलाओं के विश्वास को और मजबूत कर सकती है।
  2. व्यापारी समुदाय का समर्थन – वैश्य समाज बीजेपी का मजबूत वोट बैंक रहा है।
  3. ‘मोदी की गारंटी’ को और मजबूत करना – महिलाओं के लिए मोदी सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं, और महिला सीएम इस दिशा में एक और कदम हो सकता है।

तो कौन बनेगा दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री?

बीजेपी के लिए यह फैसला आसान नहीं है। दिल्ली की राजनीति में सामाजिक समीकरणों का बड़ा असर होता है, और बीजेपी कोई भी फैसला सोच-समझकर ही लेगी। 20 फरवरी को रामलीला मैदान में शाम 4:30 बजे शपथ ग्रहण समारोह होने वाला है, लेकिन उससे पहले सस्पेंस बना हुआ है।

तो क्या 3PM फॉर्मूला से ही निकलेगा नया मुख्यमंत्री? या फिर बीजेपी कोई चौकाने वाला नाम लेकर आएगी?

अब सबकी नजरें 20 फरवरी पर टिकी हैं!

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