मृतक रिश्तेदार के लिए एम्बुलेंस न मिलने से नाराज मनसे नेता ने तोड़ी अधिकारी की गाड़ी

न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
सगे साढ़ू की कोरोना से मौत के बाद दो किमी के अंतर पर स्थित श्मशानभूमि में पार्थिव शरीर को ले जाने के लिए एंबुलेन्स मिलने में हुई देरी से नाराज मनसे नगरसेवक वसंत मोरे का पारा गरम हो गया. उन्होंने मनपा उपायुक्त की कार का कांच तोड़ कर चकनाचूर कर दिया.
– सगे साढ़ू का कोरोना से हुआ था निधन
मनसे के महापालिका के गुटनेता वसंत मोरे के  साढू का रविवार दोपहर कोरोना के कारण निधन हो गया. भारती हॉस्पिटल से केवल दो किमी पर स्थित कात्रज श्मशानभूमि में उसके अंतिम संस्कार के लिए उसके पार्थिव शरीर को ले जाना था. इसके लिए महापालिका के व्हीकल डिपो के पास एंबुलेंस की मांग की गई. बार बार फोन करने के बाद भी एंबुलेंस मिलने में तीन घंटे लग गए. इसके बाद श्मशान भूमि की विद्युतदाहिनी में पहले से एक शव का अंतिम संस्कार शुरू होने से व दो एंबुलेन्स के वेटिंग में खड़े होने से साढू के अंतिम संस्कार में रात दस बज गए. इसके लिए जब मोरे ने कारण पूछा तो संबंधित विद्युत विभाग के अधिकारी व व्हीकल  डिपो के अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी डालने लगे. जिससे वसंत मोरे का सब्र जवाब दे गया. सोमवार सुबह उन्होंने घोले रोड के क्षेत्रीय कार्यालय पहुंच कर व्हीकल डिपो के प्रमुख उपायुक्त नितिन उदास के कार की तोडफोड की.
– जब नगरसेवक का यह हाल है, तो आम नागरिक क्या करेंगे
इस संदर्भ में वसंत मोरे ने बताया कि इसके बाद सभी निजी एंबुलेंस को प्रशासन ने अपने कब्जे में ले लिया. मोरे ने कहा कि केवल दो किलोमीटर के अंतर पर शव को ले जाने के लिए जब  नगरसेवक को एंबुलेन्स उपलब्ध नहीं हो पा रही है तो आम नागरिकों की बात ही छोड़ दें. उन्होंने बताया कि पूर्व महापौर दत्ता एकबोटे की मृत्यु के बाद भी अधिकारी गंभीर पहीं हैं व सही रणनीति नहीं बनाई.
– अंतिम संस्कार के लिए करना पड़ता है लंबा इंतजार
उन्होंने शिकायत की कि अंतिम संस्कार के लिए स्मशानभूमि में घंटों तक लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है. ऐसे में मौत की संख्या को देखते हुए कोरोना मरीजों का अंतिम संस्कार केवल विद्युत दाहिनी में ही किया जा सकता है, यह निर्णय बेहद गलत है. पहले से अपनों के कोरोना की इलाज के लिए जद्दोजहद करने वाले रिश्तेदारों को अपनों की मौत के बाद पार्थिव शरीर की होनेवाली दुर्दशा से लोग खिन्न हैं. मोरे ने सवाल उठाए कि ग्रामीण भागों में विद्युत दाहिनी नहीं हैं, ऐसे में वहां पर कोरोनाबाधितों का  परंपरागत तरीके से  अंतिम संस्कार किया जा रहा है. ऐसे में पुणे शहर के श्मशान भूमि में भी परंपरागत तरीके से  अंतिम संस्कार किया जाए.

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