सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
उपभोक्ता मंत्रालय ने बोतलबंद पानी के उपयोग की समय सीमा छह महीने से घटाकर तीन महीने करने की वकालत की है। मंत्रालय का मानना है कि भारतीय मौसम के हिसाब से बोलत में बंद पानी तीन महीने के बाद खराब हो सकता है। खबर में दावा किया गया है कि बोतलबंद पानी बनाने वाली कंपनियां बोतल को सूरज की सीधी रोशनी से दूर रखने की सलाह देती हैं, पर दुकानदार यह सावधानियां नहीं बरतते हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि सूरज की गर्मी से बोतल से कुछ केमिकल निकलने का डर रहता है। प्लास्टिक की बोतल पॉलीथिन टेरेफथालेट की बनी होती है, इससे पानी खराब हो सकता है। परीक्षणों के अनुसार, बोतल बंद पानी के सेवन से व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के एक शोध के मुताबिक, भारत में मौजूद बोतलबंद पानी के अधिकतर ब्रांड स्वास्थ्य की दृष्टि से सुरक्षित नहीं हैं।
डॉ. एच. एल. केसरवानी के अनुसार, अधिकतर ब्रांडों के बोतलबंद पानी में उन खतरनाक कीटनाशकों की मिलावट होती है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक हैं। इससे त्वचा सम्बन्धी व पेट से सम्बंधित रोग हो सकते हैं।
डा. ने बताया कि पानी जितना पुराना होता जाता है, उसमें रसायन की मात्रा बढ़ने से उसका उपयोग करने वाले को जी मचलना, उल्टी, डायरिया और त्वचा सम्बंधी रोग होने की शिकायत हो सकती है। कंपनियों द्वारा भले ही यह दावा किया जाता रहा हो कि उनका पानी स्वास्थ्य के लिए हर तरह से सुरक्षित है, लेकिन ऐसा नही होता है।
आज देश में बोतलबंद पानी का कारोबार काफी तेजी से अपने पैर पसार रहा है। सन 2013 में इसका कारोबार लगभग साठ अरब रुपए का रहा और अनुमान व्यक्त किया जा रहा है कि 2018 तक यह डेढ़ खरब से अधिक हो सकता है।