मोहर्रम के मौके पर मुस्लिम समाज में ताजिया जुलूस निकालने और बाद में उन्हें दफन करने की प्रथा. लेकिन कोरोना के चलते सभी धर्मों के सभी धार्मिक कार्यक्रमों पर पांबदी लगाई गई है. ऐसे में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माेहर्रम के मौके पर उत्तर प्रदेश में ताजिया दफन करने की अनुमति देने से इनकार कर दिया है. हाई कोर्ट ने ताजिया दफन करने की अनुमति मांगने वाली सभी अर्जियों को खारिज कर दी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि कोरोना महामारी के बीच सड़कों पर भीड़ लगाने की इजाज़त नहीं दी जा सकती है. वहीं दूसरी ओर बंबई हाईकोर्ट ने सिर्फ 5 लोगों के साथ मोहर्रम का जुलूस निकालने की अनुमति दी है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय स्तर पर मोहर्रम के जुलूस निकालने की याचिका को खारिज करते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया था.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी देशवासियों को सख्ती से कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन करना चाहिए. जगन्नाथ रथ यात्रा में परिस्थितियां अलग थीं, वहां सिर्फ एक जगह का ही मामला था। ताजिया दफन करने की इजाज़त मांगने के लिए जगन्नाथ रथ यात्रा को आधार नहीं बनाया जा सकता है.
जस्टिस शशिकांत गुप्ता और जस्टिस शमीम अहमद की डिवीजन बेंच ने यह फैसला सुनाया. बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में ताजिया दफनाने की परमीशन दिए जाने की मांग को लेकर चार अर्जियां दाखिल की गईं थीं. अर्जियों में कहा गया था कि सरकार ने ताजिया बनाने और घर में रखने की इजाज़त दी है तो दफनाने की भी अनुमति मिलनी चाहिए. गौरतलब है कि सुनवाई के दौरान यूपी सरकार ने अर्जियों को खारिज करने की सिफारिश की थी.