एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
कैराना इन दिनों देश की राजनीति का अहम केंद्र बना हुआ है। यहां से आये दिन पलायन की खबरें आती रहती हैं, लेकिन कैराना शास्त्रीय संगीत की गायकी का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है, लेकिन, अब यहां के संगीत घराने का भी पलायन हो चुका है।
उत्तर प्रदेश के शामली का यह कस्बा शास्त्रीय संगीत के उस्ताद अब्दुल करीब खान के ‘किराना घराने’ के लिए मशहूर रहा है, कैराना का यह वही घराना है। जहां से कभी मोहम्मद रफी ने गायकी सीखी थी।
शास्त्रीय संगीत के घराने के संस्थापक उस्ताद अब्दुल करीम खान और उनका परिवार समेत पूरा घराना यहां से बरसों पहले पलायन कर गया है, अब यह घराना पश्चिम बंगाल में रहता है।
यहां से पलायन तो हिंदू-मुस्लिम दोनों का हुआ है, लेकिन उसकी वजह धार्मिक तनाव कभी नहीं रहा, कैरानवीं कहते हैं कि गायक मन्ना-डे जब किसी काम से कैराना पहुंचे थे तो इसकी सीमा में घुसने से पहले सम्मान में उन्होंने अपने जूते उतारकर हाथ में रख लिए थे।
आज की स्थिति यह है कि इस कस्बा का न तो वो कद है और न ही सम्मान, अब बस यह राजनीति का एक मैदान बनकर रह गया है।
हिंदुस्तान के सभी घरानों में इस वक्त सबसे ज्यादा लोकप्रिय किराना घराना ही है और इस दौर में सबसे ज्यादा शास्त्रीय गायक इसी परंपरा से जुड़े हैं। कैराना से ही किराना घराना शब्द की उत्पत्ति हुई है।
कहा जाता है कि मुगल शहंशाह जहांगीर के दौर में आई भीषण बाढ़ के कारण उनके दरबार के कई मशहूर संगीतकारों, गायकों के घर नष्ट हो गए थे। नतीजतन शहंशाह ने कैराना कस्बे में उन सबको बसाया।
पलायन के विवाद की शुरुआत जून 2016 में तब हुई थी जब यहां से बीजेपी सासंद हुकुम सिंह 346 हिंदू परिवारों की सूची सौंपते हुए यह आरोप लगाया कि कैराना को कश्मीर बनाने की कोशिश की जा रही है।