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Saturday, April 27, 2024
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सावधान! क्या आपका बच्चा भी Cerelac खाता है?

हेल्थ डेस्क । navpravah.com

नई दिल्ली। दो मिनट में मैगी परोसनी वाली कंपनी ‘नेस्ले’ की एक बार फिर मुश्किलें बढ़ गई हैं। दरअसल, स्विट्जरलैंड की पब्लिक आई कंपनी ने अपनी एक रिपोर्ट के जरिए नेस्ले के दो सबसे ज्यादा बिकने वाले बेबी-फूड ब्रांडों में बड़ी मात्रा में एडेड शुगर या अतिरिक्त चीनी मिली होने का खुलासा किया है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि बच्चों के प्रोडक्ट्स में चीनी को डालना खतरनाक और गैरजरूरी काम है, क्योंकि इससे बच्चों को चीनी खाने की आदत लग सकती है। हालांकि अब इस मामले में केंद्र सरकार ने कंपनी के खिलाफ भारत में शिशु खाद्य उत्पादों में चीनी मिलाने से जुड़ी रिपोर्ट्स पर संज्ञान लिया है।

शुगर रिपोर्ट की जांच कर रही FSSAI

सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, भारत का खाद्य नियामक एफएसएसएआई ‘पब्लिक आई’ की रिपोर्ट की जांच कर रहा है। पूरी जांच करने के बाद इसे वैज्ञानिक पैनल के सामने रखा जाएगा और फिर नेस्ले कंपनी के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। मामले को लेकर नेस्ले का कहना है कि, ‘वह बच्चों के लिए अपने उत्पादों की पोषण गुणवत्ता बनाए रखते हैं और हमेशा उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री का उपयोग करने को प्राथमिकता देते है।’ लेकिन स्विस जांच संगठन पब्लिक आई ने बताया है कि डब्ल्यूएचओ (WHO) द्वारा शिशु खाद्य उत्पादों में अतिरिक्त चीनी पर प्रतिबंध लगाने के कड़े दिशानिर्देशों के बावजूद, नेस्ले भारत में सेरेलक जैसे उत्पादों में चीनी मिलाती है।

क्‍या है WHO की गाइडलाइन?

नेस्ले पर लगे इलजाम अगर सही पाये गए तो ये वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के निर्देशों का सीधा-सीधा उल्लंघन होगा WHO के निर्देश के मुताबिक, तीन साल के कम उम्र के बच्चों के भोन में शुगर या मीठे पदार्थ का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिएअतिरिक्त चीनी मिलाने से हाई ब्लड प्रेशर, दिल की बीमारी, डायबिटीज, अल्‍जाइमर का खतरा, दांत में कैविटीज की समस्‍या, मेंटल हेल्‍थ आदि समस्या हो सकती है

क्या कहती है कंपनी?

नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने इस बारे में बताया कि पिछले पांच सालों से कंपनी के द्वारा बेबी फूड में अतिरिक्त चीनी को 30 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। कंपनी के द्वारा नियमित रुप से खाने की गुणवत्ता, सुरक्षा और स्वाद की जांच करते हैं।

नेस्ले के प्रोडक्ट्स में सबसे ज्यादा शुगर

स्विस जांच संगठन पब्लिक आई की रिपोर्ट से ये पता चला है कि सबसे ज्यादा शुगर फिलीपींस के प्रोडक्ट में मिली है। यहां 1 सर्विंग में 7.3 ग्राम शुगर पाई गई है, जोकि बच्चों के हिसाब काफी ज्यादा है। वहीं नाइजीरिया में 6.8 ग्राम और सेनेगल में 5.9 ग्राम शुगर फूड्स प्रोडक्ट में मिली है। बता दें इस रिपोर्ट में 15 में से 8 देशों के प्रोडक्ट में शुगर लेवल की जानकारी दी गई है, वहीं 7 देशों की कोई जानकारी नहीं दी गई है।

रामनवमी के दिन फिर हिंसे की आग में जला बंगाल, हिंसा का वीडियो वायरल

संवाददाता। navpravah.com

नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल में रामनवमी के अवसर पर दो जगह हिंसा हुई। मुर्शिदाबाद जिले के बेलडांगा शहर में मस्जिद के पास से शोभायात्रा निकालने के बाद दो समुदायों के बीच संघर्ष हुआ। इस बीच बम फटने की भी सूचना मिली।

वहीं मेदिनीपुर के इगरा में भी दो समुदाय के बीच झड़प हुई और आगजनी की गई। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, हिंसा में अब तक 18 लोगों के घायल होने की खबर है। इसमें दो नाबालिग, एक महिला और कुछ पुलिस कर्मी भी शामिल हैं।

मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में घर की छत से पत्थरबाजी

बीजेपी आईटी सेल के हेड अमित मालवीय ने हिंसा के कुछ वीडियो शेयर किए हैं। उन्होंने लिखा- ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के लिए कलंक हैं। वह एक बार फिर रामनवमी शोभा यात्रा की सुरक्षा करने में विफल रही। मुर्शिदाबाद के रेजीनगर में हिंदू श्रद्धालुओं को निशाना बनाया गया। इस क्षेत्र में हिंदू अल्पसंख्यक हैं। रेजीनगर में एक छत से लोगों के पत्थरबाजी करने का भी वीडियो सामने आया है।

ममता ने किया पलटवार –

ममता ने रायगंज लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में एक चुनावी रैली में कहा, ‘सब कुछ पूर्व नियोजित था। रामनवमी से एक दिन पहले मुर्शिदाबाद के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) को हटा दिया गया ताकि आप (भाजपा) हिंसा कर सकें।’

वीडियो भी हुआ वायरल –

बता दें कि मुर्शिदाबाद में हिंदुओं की शोभायात्रा पर हमले का एक वीडियो पश्चिम बंगाल भाजपा द्वारा सोशल मीडिया साइट X पर पोस्ट किया गया था। इस वीडियो में इस वीडियो में कई लोग ऊँची छतों पर खड़े दिखाई दे रहे हैं। वो वहाँ से नीचे ईंट-पत्थर फेंक रहे हैं। नीचे शोभायात्रा में शामिल लोगों में चीख-पुकार मची हुई दिखाई दे रही है।

वीडियो में हेलमेट पहने कुछ पुलिसकर्मी भी दिख रहे हैं। वो छत से पत्थर फेंक रहे उपद्रवियों को समझाने का प्रयास कर रहे हैं। हालाँकि उनकी अपील का कोई भी असर हमलावरों पर होता नहीं दिख रहा है। 23 सेकेंड के इस वीडियो में नीचे खड़े लोग शोरगुल करते सुनाई दे रहे हैं। इस घटना में लोगों के सिर भी फट गए हैं, जिनकी तस्वीरें भी सामने आई हैं।

सिविल सेवाओं में मुस्लिम युवाओं का बढ़ा रुझान: चौंका देंगे बीते 8 वर्षों के आँकड़े

नृपेंद्र कुमार मौर्या | navpravah.com

नई दिल्ली | कहा जाता है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत की जाए तो कामयाबी जरूर मिलती है। इस बात को सिद्ध कर रहा है देश में आईएएस-आईपीएस जैसे उच्च पदों पर अब ज्यादा संख्या में मुसलमानों का काबिज होना। इससे पहले आम तौर पर यह माना जाता रहा है कि आजादी के 75 साल बाद भी शैक्षिक रूप से मुस्लिम पिछड़े हैं और देश के रसूखदार पदों पर उनकी मौजूदगी न के बराबर है।

यह बात 2016 तक काफी हद तक हकीकत के करीब भी रही है, मगर अब ऐसा नहीं है। हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग की जारी सिविल सर्विसेज मेरिट लिस्ट, 2023 में 50 से ज्यादा मुस्लिम कैंडिडेट्स ने जगह पाई है। इनमें से 5 तो ऐसे हैं, जिन्हें टॉप-100 में जगह मिली है। इन पांच उम्मीदवारों के नाम रुहानी, नौशीन, वर्दाह खान, ज़ुफिशान हक और फबी रशीद हैं, इन पांचों ने अपनी मेहनत से टॉप 100 में जगह बनाई है। इस सफलता से न सिर्फ उनका समुदाय बल्कि पूरा देश प्रेरित होता है।

उल्लेखनीय है कि शाह फैसल ने 2010 में IAS टॉप करके कश्मीरियों समेत पूरे देश के मुस्लिम युवाओं को प्रेरणा दी थी। इसके बाद 2015 में कश्मीर के अतहर आमिर ने UPSC में दूसरी रैंक हासिल की थी। वहीं, 2017 में मेवात के अब्दुल जब्बार भी चयनित हुए थे। वे इस क्षेत्र से पहले मुसलमान सिविल सर्वेंट हैं। और अब 2023 में दिल्ली से पढ़ाई करने वालीं गोरखपुर की नौशीन ने सिविल सेवा परीक्षा में 9वीं रैंक हासिल की है, जो मुस्लिम समुदाय के लड़के-लड़कियों को देश की सर्वोच्च सेवा में सफल होने के लिए राह दिखाएगा।

मुस्लिम कैंडिडेट्स की सफलता दर 5 फीसदी, बीते साल से ज्यादा-

इससे पहले 2022 की सिविल सेवा परीक्षा में कुल 933 अभ्यर्थी आईएएस-आईपीएस और केंद्रीय सेवाओं के लिए चुने गए थे। इनमें से महज 29 कैंडिडेट्स मुस्लिम कम्युनिटी से थे। जो कुल सफल लोगों में से करीब 3.1 फीसदी रहे। इस बार यानी 2023 की सिविल सेवा परीक्षा में 51 मुस्लिम कैंडिडेट्स सफल रहे, उनका कुल सफल लोगों में प्रतिशत 5 फीसदी से ज्यादा ही रहा है।

2022: UPSC प्रीलिम्स और मेन्स परीक्षा में 2,529 उम्मीदवार सफल हुए, जिनमें 83 मुस्लिम थे। अंत में, 933 उम्मीदवारों को IAS, IPS, IFS, IRS और अन्य सेवाओं के लिए चुना गया, जिसमें 30 मुस्लिम शामिल थे।

2021: इस साल की मेन्स परीक्षा में 1,823 उम्मीदवार पास हुए थे और इंटरव्यू के लिए बुलाए गए थे। फाइनल मेरिट लिस्ट में 685 उम्मीदवारों का नाम था, जिसमें 21 मुस्लिम उम्मीदवार थे। यह पिछले दस सालों में मुस्लिम उम्मीदवारों का सबसे कमजोर प्रदर्शन था।

2020: इस वर्ष, UPSC ने 761 उम्मीदवारों को विभिन्न शीर्ष सेवाओं के लिए सुझाया जिसमें 31 मुस्लिम शामिल थे।

2019 और 2018: 2019 में 42 मुस्लिमों ने परीक्षा पास की जबकि 2018 में केवल 27 मुस्लिम सफल हुए थे।

2016 और 2017: ये दो साल मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए बहुत अच्छे रहे. 2016 में 52 और 2017 में 50 मुस्लिम उम्मीदवारों ने सफलता हासिल की।

2015 और 2014: 2015 में 1,078 में से 34 मुस्लिम और 2014 में 1,236 उम्मीदवारों में से 38 मुस्लिम सफल हुए।

2013 में, 34 मुस्लिम उम्मीदवारों ने परीक्षा पास की।

गोरखपुर से हैंAIR 9 नौशीन –

नौशीन मूल रूप से गोरखपुर के कुशीनगर क्षेत्र के पिपरा कनक गांव के मठिया टोला की रहने वाली हैं। नौशीन ने प्रारंभिक शिक्षा गोरखपुर के रैंपस स्कूल से पूरी कर दिल्ली विश्वविद्यालय के एसजीटीबी खालसा कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की। इसके बाद वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं। नौशीन ने बताया कि उन्हें इस बात की काफी खुशी है कि उन्होंने यह सफलता बिना किसी कोचिंग के खुद की बनाई अध्ययन रणनीति से हासिल की है। उनके पिता आकाशवाणी के सहायक निदेशक (अभियांत्रिक) के पद पर कार्यरत हैं। नौशीन अपनी सफलता का श्रेय अपने पिता अब्दुल कयूम, मां जेबा खातून, बहन नगमा और भाई अकरम को देती हैं। नौशीन ने बताया कि उन्हें सफलता मिलने की पूरी उम्मीद थी, लेकिन नौवीं रैंक हासिल होने को लेकर वह व परिवार उत्साहित हैं।

UPSC CSE RESULTS : लखनऊ के आदित्य बने टॉपर , जानिये आईएएस बनने की सक्सेस स्टोरी

नृपेंद्र कुमार मौर्या। navpravah.com

नई दिल्ली। दिल थामकर इंतज़ार कर रहे अभियर्थियों के लिए इंतज़ार खत्म हुआ। संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सर्विसेज परीक्षा 2023 के परीक्षाफल मंगलवार दोपहर १ बजे घोषणा कर दिया। वर्ष २०२३ के परीक्षा के टॉपर रहे लखनऊ के आदित्य श्रीवास्तव वहीँ दूसरे और तीसरे नंबर पर क्रमश: अनिमेष प्रधान और दोनुरू अनन्या रेड्डी रहे। आपको बता दें कि इस परीक्षा में ११४३ अभियर्थी अधिकारी बने हैं।

कौन है आदित्य श्रीवास्तव?

आदित्य ने अपने शुरूआती पढ़ाई लखनऊ के सीएमएस अलीगंज से पूरी की हैं। इसके बाद उन्होंने आईआईटी कानपुर से बीटेक और एमटेक किया। १५ माह तक उन्होंने बेंगलुरु में अमेरिकी एमएनसी कंपनी में नौकरी की। उसके बाद उन्होंने २०२० में नौकरी छोड़ दी और यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने लगे। २०२२ यूपीएससी में उन्हें २३६वीं रैंक मिली थी और उसका चयन आईपीएस के लिए हुआ था।

ऑल इंडिया रैंक के पांच टॉपर्स कौन हैं? 

यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2023 के परिणाम में आदित्य श्रीवास्तव ने ऑल इंडिया रैंक वन हासिल की है। दूसरा रैंक अनिमेष प्रधान, तीसरा दोनुरू अनन्या रेड्डी, चौथे पर पीके सिद्धार्थ रामकुमार, और पांचवे पर रूहानी पाया हैं।

सभी श्रेणी के उम्मीदवारों का इतने पदों पर हुआ चयन – 

आईएएस के पदों पर सामान्य श्रेणी के 73 ईडब्लूएस के 17, ओबीसी के 49, एससी के 27 , एसटी के 14 उम्मीदवारों का चयन हुआ है। आईएफएस के पदों पर सामान्य श्रेणी के 16 ईडब्लूएस के 04, ओबीसी के 10, एससी के 05, और एसटी के 02 उम्मीदवारों का चयन हुआ है वहीं आईपीएस के पदों पर सामान्य श्रेणी के 80 ईडब्लूएस के 20, ओबीसी के 55, एससी के 32, एसटी और 13 उम्मीदवारों का चयन हुआ है। सेंट्रल सर्विसेज ग्रुप-ए के पदों पर सामान्य श्रेणी के 258 ईडब्लूएस के 64, ओबीसी के 160, एससी के 86 और एसटी के 45 उम्मीदवारों का चयन हुआ है। ग्रुप- बी सर्विसेज के पदों पर सामान्य श्रेणी के 47 ईडब्लूएस के 10, ओबीसी के 29, एससी के 15, एसटी के 12 उम्मीदवारों का चयन हुआ है।

 

ईरान-इजराइल युद्धः अर्थव्यवस्था पर नहीं पड़ेगा कोई असर, रिपोर्ट से हुआ खुलासा

संवाददाता । navpravah.com

नई दिल्ली | इजराइल और ईरान के बीच युद्ध बढ़ने की आशंकाओं से दुनिया में हलचल है। ऐसा माना जा रहा है कि दुनिया एक बार फिर से विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है, जिससे दुनिया में महंगाई चरम पर पहुंच सकती हैं। भारतीय शेयर बाजार में सप्ताह के पहले कारोबारी दिन में आई जोरदार गिरावट से निवेशक भी तनाव में हैं और इसके पीछे युद्ध को वजह माना जा रहा है। इस आशंका के बीच एक रिपोर्ट आई है जिसके मुताबिक, ईरान-इजराइल युद्ध का कोई आर्थिक नुक़सान दुनिया को नहीं होगा।

आइए समझते हैं, क्या कहता है रिपोर्ट-

स्टॉक मार्केट टूटा, डाउ जोंस चढ़ा

सबसे पहले बात करें सोमवार को Share Market में आए भूचाल के बारे में। बता दें कि मार्केट ओपन होने के साथ ही सेंसेक्स और निफ्टी में गिरावट आई। सेंसेक्स 73,315.16 के स्तर पर खुला, बीते सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन ये 74,244.90 के लेवल पर क्लोज हुआ था। इसके अलावा निफ़्टी बीते शुक्रवार को 22,519.40 पर बंद हुआ था और सोमवार को सुबह 9.15 बजे पर गिरावट के साथ 22,339.05 के स्तर पर खुला। हालांकि, भले ही इस गिरावट के पीछे ईरान और इजराइल के युद्ध को वजह माना जा रहा हो, लेकिन अंदर की बात ये है कि इस गिरावट में सिर्फ युद्ध का असर नहीं है, भारी मुनाफावसूली का असर स्टॉक मार्केट पर दिखा है।

दूसरे संकेत की बात करें, तो ईरान और इजरायल के बीच जारी युद्ध के बावजूद अमेरिकी बाजार में डाउ जोंस फ्यूचर ग्रीन जोन में कारोबार करता नजर आ रहा है। ये 140 पॉइंट चढ़कर 38,124 के लेवल पर है।

युद्ध लंबा खिंचने की संभावना कम!

गौरतलब है कि शनिवार को ईरान ने इजरायल पर 300 से ज्यादा ड्रोन्स और मिसाइलों से हमला किया। इस हमले में ड्रोन्स, सुपरसोनिक क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलें शामिल थीं। इजरायल ने दावा किया है उसने 99 फीसदी हवाई हमले को बेकार कर दिया। इस बीच अमेरिका ने ईरान और इजराइल दोनों को हिदायत दी है। एक ओर ईरान से हमले रोकने के लिए कहा है, तो वहीं दूसरी ओर इजरायल से भी दो टूक कह दिया है कि US उसके किसी भी जवाबी हमले जैसे प्रयास का साझेदार नहीं बनेगा और तनाव बढ़ाने वाले किसी भी फैसले से पहले वह अच्छे से सोच-विचार करे। ऐसे में युद्ध लंबा खिंचने की संभावना कम दिख रही है।

ऐसे संकेतों को देख कर कह सकते है कि इस युद्ध का अर्थव्यवस्था पर कोई खासा असर नहीं पड़ेगा।

क्या तीसरे विश्व युद्ध की तरफ बढ़ रही है दुनिया? भारत सरकार के निर्देश जारी करने की क्या है वजह ?

ब्यूरो। navpravah.com

नई दिल्ली। जिसका डर था वही हुआ। ईरान के मुताबिक इजराइल के हमलों के बाद उसने भी ताबड़तोड़ हमले शुरू कर दिए। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने इजरायल पर दर्जनों मिसाइल और ड्रोन से हमला किया है। इस हमले से पूरी दुनिया अलर्ट पर है। ईरान ने इस हमले को ऑपरेशन ‘ट्रू प्रॉमिस’ नाम दिया है। ईरान का कहना है कि हमला इजरायल के अपराधों की सजा है। हालांकि ईरान के हमलों को अमेरिका ने ज़ोरदार तरीके से जवाब दिया।

इससे एक दिन पहले ओमान की खाड़ी से होर्मुज पास होते हुए भारत आ रहे एक कार्गो शिप पर ईरान की सेना ने कब्जा कर लिया है। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक जहाज पर 17 भारतीय नागरिक भी मौजूद है। कार्गो शिप लंदन बेस्ड एक कंपनी का है, जिसका मालिकाना हक एक इजराइली अरबपति के पास है। पहले मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि शिप पर 20 क्रू मेंबर सवार हैं, जो फिलीपींस के नागरिक हैं। इस पर पुर्तगाल का झंडा लगा था।

हमले के बाद अलर्ट पर अमेरिका

ईरान का यह हमला अचानक से नहीं हुआ है। अमेरिका, इजरायल ने पहले ही हमले का अनुमान लगा लिया था। अमेरिकी सेना पहले से ही अलर्ट पर थी। उसने अपने दो युद्धपोत इजरायल की सुरक्षा में तैनात किए थे। हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने सुरक्षा अधिकारियों के साथ मीटिंग की। इसके अलावा उन्होंने नेतन्याहू से भी फोन पर बात की है। बाइडन ने इजरायल के सुरक्षा की प्रतिबद्धता जताई। संयुक्त राष्ट्र महासचिव, यूके, जर्मनी और फ्रांस ने इस हमले की निंदा की है। मिस्र, सऊदी, स्पेन, पुर्तगाल ने इस हमले के बाद गहरी चिंता जताते हुए संयम बरतने को कहा है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किया निर्देश

ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते टकराव और उस क्षेत्र में गंभीर होते हालात को देखते हुए भारतीय विदेश मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर दी है। विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को इन देशों की यात्रा नहीं करने और वहां रह रहे नागरिकों से अपनी सुरक्षा का खास ध्यान रखने की अपील की है।

भाजपा ने जारी किया घोषणापत्र, समझिए क्या क्या है विशेष

नृपेन्द्र कुमार मौर्य । navpravah.com

नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी का घोषणा पत्र जारी किया। इसे संकल्‍प पत्र का नाम दिया गया है। इसमें कई तरह के वादे किए गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा उपस्थित रहे। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संविधान निर्माता बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि। ‘जय भीम.’ इस पोस्ट के साथ पीएम मोदी ने विभिन्न कार्यक्रमों में बाबा साहेब आंबेडकर पर दिए अपने भाषणों पर आधारित एक वीडियो भी साझा किया।

इस घोषणा पत्र में बीजेपी ‘GYAN’ यानी गरीब, युवा, अन्नदाता (किसान) और नारी शक्ति पर फोकस किया है। बीजेपी के घोषणा पत्र की थीम है ‘बीजेपी का संकल्प, मोदी की गारंटी’

आइए समझते है बीजेपी का घोषणापत्र कुछ प्रमुख बिंदुओं में

सेवा, सुशासन और गरीब कल्याण.. ये मोदी की गारंटी, मध्यम घर के परिवारों के लिए पक्के घर, पर्यावरण स्वच्छ..

पेपर लीक कानून लागू करेंगे, नई शिक्षा नीति, 2036 में ओलंपिक मेजबानी

3 करोड़ लखपति दीदी बनाना है.. सर्वाइकल कैंसर पर ध्यान, महिलाओं के लिए सार्वजनिक शौचालय, महिला शक्ति वंदन अधिनियम लागू करना

नैनो यूरिया लागू करना, मछली पालकों पर खास ध्यान

प्रवासी मजदूर, और उनकी श्रेणी में आनेवाले लोगों को ई श्रम से जोड़ा जाएगा और सुविधा दी जाएगी

आगे योग का आफिसियल सर्टिफिकेशन भारत देगा

रामायण उत्सव, अयोध्या का और विकास, भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई और सख्त

लागू होगी न्याय संहिता, वन नेशन वन इलेक्शन भी होगा लागू

वेटिंग लिस्ट की समस्या एकदम समाप्त करेंगें

नार्थ ईस्ट में बुलेट ट्रेन पर काम चल रहा है

5जी विस्तार और 6जी का विकास

उर्जा में आत्मनिर्भर

कौन है माधवी लता, जो हैदराबाद से ओवैसी को देंगी टक्कर?

संवाददाता। navpravah.com

नई दिल्ली। हैदराबाद सीट बात की जाए तो इस सीट को ओवैसी का गढ़ माना जाता है। साल 1984 से ओवैसी परिवार हैदराबाद सीट से हमेशा जीत दर्ज करता आ रहा है। असदुद्दीन ओवैसी के पिता सुल्तान सलाहुद्दीन हैदराबाद सीट से 20 साल तक सांसद रहें, इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी अबतक इस सीट से सांसद है। इस बार के लोकसभा चुनाव में यह देखना दिलचस्प होगा कि हैदराबाद की जनता क्या फैसला लेती हैं। एक ओर जहां बड़े राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाले ओवैसी एक बार फिर से मैदान में है। वहीँ दूसरी ओर बीजेपी की ओर से हैदराबाद में माधवी लता हिंदुत्व का झंडा लेकर मैदान में उतर चुकी हैं।

खुद को “RSS की बेटी” और “पारंपरिक भारतीय महिला” कहने वाली कोम्पेला माधवी लता एक उद्यमी, हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेटर और प्रशिक्षित भरतनाट्यम डांसर हैं। माधवी लता तेलंगाना के राजनीतिक हलकों में बहुत जाना-पहचाना नाम नहीं है। लेकिन पिछले दिनों जब भाजपा ने उन्हें हैदराबाद लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतारा तो वह अचानक सुर्खियों में आ गई।

एक व्यवसायी और भरतनाट्यम डांसर के अलावा वह एक एनसीसी कैडेट भी हैं। उन्हें लगभग छह महीने पहले टिकट का आश्वासन दिया गया था और वह कुछ समय से हैदराबाद के पुराने शहर में प्रचार कर रही हैं। उन्होंने तीन तलाक के खिलाफ भी अभियान चलाया है।

माधवी लता कभी भी एक सक्रिय राजनेता नहीं रही हैं यहां तक कि उनके परिवार में भी दूर-दूर तक किसी का राजनीति से वास्ता नहीं रहा। माधवी लता तीन तलाक के उन्मूलन पर कई मुस्लिम महिला समूहों के साथ सहयोग कर रही हैं और अक्सर पुराने शहर के क्षेत्रों में इस मुद्दे पर बात करने के लिए आमंत्रित की जाती हैं।

हैदराबाद से पहली बार भाजपा ने बनाया महिला उम्मीदवार

भाजपा ने हैदराबाद से पहली बार महिला उम्मीदवार पर दांव खेला है। इससे पहले पार्टी ने भगवत राव को उम्मीदवार बनाया था। हालांकि, भगवत को ओवैसी से लगभग 3 लाख वोटों से हार झेलनी पड़ी थी। इस बार भाजपा ने महिला उम्मीदवार को उतारकर मुकाबला कड़ा करने की कोशिश की है, लेकिन ओवैसी को उसके गढ़ में हराना आसान नहीं होने वाला है।

इंदिरा गाँधी के हत्यारे का बेटा लड़ेगा चुनाव, इस सीट से ठोकेगा दावेदारी

संवाददाता। navpravah.com

नई दिल्ली।  पंजाब में लोकसभा सभा चुनाव को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। प्रस्तावित लोकसभा चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों में से एक के बेटे ने गुरुवार को ऐलान किया है कि वह पंजाब के फरीदकोट सीट से आगामी लोकसभा चुनाव लड़ेगा. सरबजीत सिंह (45) ने कहा कि फरीदकोट के कई लोगों ने उससे चुनाव लड़ने के लिए कहा, इसलिए वह निर्दलीय चुनाव लड़ेगा।

चौंकाने वाली बात यह है कि सरबजीत सिंह इंदिरा गांधी के दो हत्यारों में से एक बेअंत सिंह का बेटा है। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अंगरक्षक बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने 31 अक्टूबर 1984 को उनके आवास पर गोली मार कर हत्या कर दी थी।

कौन हैं सरबजीत सिंह?

सरबजीत सिहं ने अपनी पढ़ाई 12वीं कक्षा में ही छोड़ दी थी। सरबजीत सिहं मोहाली का रहने वाला है। उन्होंने ग्रेजुएशन के लिए चंडीगढ़ के खालसा कॉलेज में दाखिला लिया था लेकिन उन्होंने अपना कोर्स पूरा नहीं किया। सरबजीत सिंह ने 2004 के लोकसभा चुनाव में बठिंडा से चुनाव लड़ा था लेकिन 1.13 लाख वोट पाकर हार गए थे।सरबजीत सिंह 2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव में बरनाला की भदौर सीट से भी हार गए, जहां उन्हें केवल 15,702 वोट मिले।

माँ भी रह चुकीं हैं सांसद

सरबजीत सिंह ने 2014 के लोकसभा चुनाव में फतेहगढ़ साहिब सीट से फिर से अपनी किस्मत आजमाई लेकिन फिर हार गए। उनकी मां बिमल कौर 1989 में रोपड़ सीट से सांसद चुनी गईं। बता दें कि पंजाब की 13 लोकसभा सीटों के लिए 1 जून को मतदान होगा।

वहीं आम आदमी पार्टी ने फरीदकोट लोकसभा सीट से अभिनेता करमजीत अनमोल को मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने गायक हंस राज हंस को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस और शिअद ने अभी उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।

आम आदमी पार्टी के नाम पर मलाई खाने वाले नेता गायब, इन नेताओं ने बढ़ाई केजरीवाल की टेंशन

arvind kejriwal
arvind kejriwal

संवाददाता । navpravah.com

नई दिल्ली | लोकसभा चुनाव के पहले आम आदमी पार्टी मुश्किल में दिख रही है। सबसे बड़ी मुश्किल है अरविन्द केजरीवाल की गिरफ़्तारी, दूसरा मुद्दा जो उनके लिए चिंता का सबब बन रहा है वो है उसके करीब 7 सांसदों का गायब रहना। इस समय 10 में से सिर्फ 3 सांसद पार्टी के लिए आवाज उठाते दिख रहे हैं। लोकसभा में आप के इकलौते सांसद सुशील कुमार रिंकू ने हाल ही में भाजपा का दामन थाम लिया था। हाल में जमानत पर बाहर आए संजय सिंह से जब इसके बारे में पूछ गया तो उन्होंने कहा, ‘पार्टी इस विषय पर चर्चा करेगी।’

कौन-कौन सांसद हैं ‘गायब’ –

१. राघव चड्ढा – आम आदमी पार्टी के लिए हमेशा अपनी बात मुखर तौर पर रखने वाले नेता राघव चड्ढा आम आदमी पार्टी के संकट के समय में गायब दिख रहे है। उसके करीब 7 सांसद दिल्ली के साथ-साथ देश के अन्य हिस्सों मो किए गए विरोध प्रदर्शन के दौरान गायब रहे। 10 में से सिर्फ 3 सांसद पार्टी के लिए आवाज उठाते दिख रहे हैं। लोकसभा में आप के इलकौते सांसद सुशील कुमार रिंकू ने हाल ही में भाजपा का दामन थाम लिया था। हाल में जमानत पर बाहर आए संजय सिंह से जब इसके बारे में पूछ गया तो उन्होंने कहा, ‘पार्टी इस विषय पर चर्चा करेगी।’

२. स्वाति मालीवाल – आम आदमी पार्टी की राज्य सभा सांसद इस वक़्त अमेरिका में है। उन्होंने कहा कि इस वक़्त उन्हें वहां रहने कि आवश्यकता हैं, उनकी बदफि बहिन बीमार है। वह समय समय पर अपने सोशल मीडिया पोस्ट्स के ज़रिये अपने बातों को रखती रहती है। बीजेपी ने आरोप लगाया कि AAP के कई नेता केजरीवाल के समर्थन में सामने नहीं आ रहे हैं। हालांकि, मालीवाल ने इस खबर का खंडन किया है।

३. हरभजन सिंह – पूर्व भारतीय क्रिकेटर और पंजाब से आप के राज्य सभा सांसद हरभजन सिंह राज्यसभा सांसद बनने के बाद से आप की गतिविधियों में शायद ही कभी भाग लिया हो। केजरीवाल की गिरफ्तारी पर भी वह चुप हैं। उन्होंने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर हाल में कई पोस्ट किए हैं, लेकिन लगभग सभी आईपीएल के बारे में हैं। 24 मार्च को उन्होंने पंजाब के मुख्यमंत्री और आप नेता भगवंत मान को उनकी बेटी के जन्म पर बधाई दी थी। उनसे जब पूछा गया कि क्या वह AAP द्वारा आयोजित विरोध प्रदर्शन में भाग लेंगे, तो उन्होंने कहा कि नहीं।

४. अशोक मित्तल – लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी के संस्थापक और आप सांसद अशोक मित्तल भी पार्टी के गतिविधियों से काफी हद तक दूर ही रहे। उन्होंने कहा कि वो पार्टी के इन गतिविधियों पर बयान देने के लिए अधिकृत नहीं है। पार्टी मुख्यालय हमें बताएगा कि क्या करना है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्हें पार्टी द्वारा हाल ही में आयोजित एक विरोध प्रदर्शन में आमंत्रित नहीं किया गया था।

५.संजीव अरोड़ा – पंजाब से एक और सांसद संजीव अरोड़ा ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद 24 मार्च को उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल से मुलाकात की थी। हालांकि, उन्होंने रामलीला मैदान में इंडिया गठबंधन के विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं होने की बात स्वीकार की। अरोड़ा ने कहा कि वह इसलिए शामिल नहीं हो सके क्योंकि वह लुधियाना में पार्टी द्वारा दिए गए एक काम में व्यस्त थे। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा मुझे दी गई जिम्मेदारियों को पूरा किया है। मैं एनडी गुप्ता के लगातार संपर्क में हूं, जो राज्यसभा में हमारे नेता हैं। अगर मुझे विरोध प्रदर्शन के लिए आने के लिए कहा जाता है तो मैं वहां रहूंगा।”

६.बलबीर सिंह सीचेवाल – पंजाब से आप के राज्यसभा सांसद बलवीर सिंह सीचेवाल को भी अधिकांश पार्टी विरोध प्रदर्शनों में नहीं देखा गया है। जब उनसे उनकी अनुपस्थिति के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, ”मैं एक धर्मनिष्ठ व्यक्ति हूं और अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा हूं। अगर कोई योजना है तो हम उसे साझा करेंगे।”

७.विक्रमजीत सिंह साहनी- साहनी भी दूसरे सांसदों की तरह आम आदमी पार्टी की गतिविधियों से काफी हद तक अनुपस्थित हैं। पिछले कुछ दिनों में उन्होंने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में छात्रों के साथ और लेखक खुशवंत सिंह की स्मृति में एक सभा में अपनी बातचीत का वीडियो किए हैं।