नृपेंद्र कुमार मौर्या | navpravah.com
नई दिल्ली | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने तीन दिवसीय आधिकारिक दौरे पर अमेरिका पहुंचने वाले हैं, और इस दौरे से कुछ घंटे पहले व्हाइट हाउस ने खालिस्तान आंदोलन के समर्थक सिखों के एक समूह के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की। इस बैठक में व्हाइट हाउस ने इन सिख नेताओं को यह आश्वासन दिया कि अमेरिका अपने नागरिकों को किसी भी अंतरराष्ट्रीय आक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
अमेरिका और कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादियों की स्थिति
हाल ही में, कनाडा और अमेरिका खालिस्तानी अलगाववादियों को शरण देने की वजह से चर्चा में हैं। खालिस्तान आंदोलन से जुड़े समूह भारत में प्रतिबंधित हैं और कई ने पिछले कुछ दशकों में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दिया है। जबकि अमेरिका ने इन तत्वों को “आश्रय” देने पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की, कनाडा ने इसे अपनी “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता” के तहत समझा है।
जयशंकर का स्पष्ट संदेश
इस संदर्भ में, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “भारत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है, लेकिन इसका मतलब अलगाववाद का समर्थन नहीं है।” उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे तत्वों को राजनीतिक स्थान देने की स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए, जो विदेशी राजनयिकों को धमकाने या हिंसा की वकालत करते हैं। उनका यह बयान इस बात को रेखांकित करता है कि किसी भी लोकतांत्रिक समाज में नियमों का पालन होना अनिवार्य है।
व्हाइट हाउस की बैठक का उद्देश्य
यह बैठक व्हाइट हाउस के आधिकारिक परिसर में आयोजित की गई, जिसमें अमेरिकन सिख कॉकस कमेटी के प्रीतपाल सिंह और सिख गठबंधन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रीतपाल सिंह ने बताया, “हमने सिख अमेरिकियों की सुरक्षा को लेकर संघीय अधिकारियों को धन्यवाद दिया और उनसे और अधिक सहयोग की अपील की।” उन्होंने इस बैठक को सकारात्मक बताया और कहा कि यह आश्वासन कि सरकार उनके साथ खड़ी है, महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री मोदी के इस दौरे को लेकर देशभर में उम्मीदें हैं, लेकिन साथ ही यह घटनाक्रम अमेरिका के खालिस्तानी अलगाववादी तत्वों के प्रति नीति और भारत के चिंताओं के बीच की जटिलता को भी उजागर करता है।