एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
उत्तर कोरिया के सर्वोच्च नेता किम जोंग उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात आज सफलतापूर्वक पूरी हुई, दुनियाभर में इन दोनों नेताओं के मुलाकात सुर्खियों में है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौर में कोरियाई प्रायद्धीप में हुए संघर्ष के बाद अस्तित्व में आए उत्तर कोरिया के किसी शासक की अमेरिकी राष्ट्रपति से यह पहली मुलाकात है।
यह मुलाकात इसलिए भी बेहद अहम है क्योंकि कम्युनिस्ट देश उत्तर कोरिया की पूंजीवादी एवं लोकतांत्रिक देश अमेरिका से मुलाकात हो रही है।
इसी विचारधारात्मक अंतर के कारण अमेरिका और सोवियत संघ के बीच बंटे दो ध्रुवीय विश्व के बीच तकरीबन 50 सालों तक शीत युद्ध हुआ और 1991 में सोवियत संघ के विघटन के साथ ही इसका खात्मा हुआ, लेकिन उस दौर की चपेट में आए दो कम्युनिस्ट देश उत्तर कोरिया और क्यूबा इससे अभी तक अछूते ही रहे थे।
हालांकि कुछ समय पहले बराक ओबामा के दौर में क्यूबा कुछ हद तक इस मानसिकता से उस वक्त उबरा जब 60 बरस बाद वहां अमेरिका ने वाणिज्य दूतावास खोला।
इस पृष्ठभूमि में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात बेहद अहम है, ऐसा इसलिए क्योंकि भले ही उत्तर कोरियाई शासकों की तीसरी पीढ़ी सत्ता पर काबिज है लेकिन इससे पहले किम जोंग उन के पिता किम जोंग-इल (1941-2011) और दादा किम इल-सुंग (1912-94) की मौजूदा अमेरिकी राष्ट्र प्रमुखों से मुलाकात नहीं हुई है।
इस कड़ी में किम जोंग-उन और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात की मुस्कुराती तस्वीर कम से कम यह तो कहती है कि दोनों देशों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलती दिख रही है।