जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को विशेष दर्जा और राज्य के स्थाई निवासी की परिभाषा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए के मामले में सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई टल गई है।
अब सुनवाई अगले साल जनवरी के दूसरे सप्ताह में होगी, सीजेआई दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने मामले की सुनवाई टाली है, सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेेहता पेश हुए और उन्होंने कहा कि राज्य में सभी सुरक्षा एजेंसियां इस समय निकाय चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई हैं।
वहीं केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि राज्य में सितंबर से दिसम्बर तक आठ फेज में स्थानीय निकाय चुनाव होने हैं, ऐसे में अनुच्छेद 35ए पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होती है तो राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली इस सुनवाई को टालने के लिए एक अर्जी दाखिल की गई थी, राज्य सरकार की ओर से दायर की गई याचिका में कहा गया है कि राज्य में जल्द होने वाले स्थानीय निकायों के चुनावों के मद्देनजर इस मामले पर 31 अगस्त को सुनवाई न करके इसे आगे के लिए टाल दिया जाए।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट कहा था कि वो विचार करेगा कि क्या अनुच्छेद 35ए संविधान के मूलभूत ढांचे का उल्लंघन तो नहीं करता है, इसमें विस्तृत सुनवाई की जरूरत है, सुनवाई के दौरान जम्मू और कश्मीर सरकार ने मामले की सुनवाई दिसंबर तक टालने की मांग की थी हालांकि इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई गौर नहीं किया था।
कानून और व्यवस्था बनाए रखने को उठाए कदम
पुलिस ने कहा कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए कुछ प्रतिबंध लगाए गए हैं, सैयद अली गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मुहम्मद यासीन मलिक की अगुआई वाले अलगाववादी धड़े संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) द्वारा 30 अगस्त और 31 अगस्त को अनुच्छेद 35ए के समर्थन में पूरी तरह से बंद का आह्वान किया गया है।