प्रमुख संवाददाता,
बालेश्वर (ओडिशा) : भारत ने इज़राइल के साथ संयुक्त रुप से विकसित की गई सतह से हवा में मार करने वाली एक नई मिसाइल का आज सफलतापूर्वक प्रायोगिक परीक्षण किया है। यह परीक्षण ओडिशा के तट के पास स्थित रक्षा ठिकाने से किया गया है। डीआरडीओ के एक अधिकारी ने कहा कि मध्यम दूरी की मिसाइल (एमआर-एसएएम) भारत और इस्राइल के साझा उपक्रम का एक उत्पाद है।
इस मिसाइल को चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से सुबह लगभग आठ बजकर 15 मिनट पर एक मोबाइल लॉन्चर की मदद से दागा गया। अधिकारी ने बताया, “यह प्रायोगिक परीक्षण सफल रहा और इसने सभी लक्ष्य पूरे कर लिए।”
मिसाइल द्वारा बंगाल की खाड़ी के ऊपर गतिशील हवाई लक्ष्य को अवरुद्ध किए जाने में मानवरहित वायुयान (यूएवी) ‘बेंशी’ की एक अहम भूमिका रही। उन्होंने कहा कि इस पूरी प्रणाली में मिसाइल के अलावा बहु संचालनात्मक निरीक्षण और खतरे की सूचना देने वाला राडार लगा है ताकि मिसाइल और उसके मार्ग की पहचान की जा सके और उसको निर्देशित किया जा सके।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिक ने कहा,”एमएफ-स्टार के साथ यह मिसाइल प्रयोगकर्ताओं को हवाई खतरों को अप्रभावी करने की क्षमता से लैस करेगी।”
सतह से हवा में लंबी और मध्यम दूरी तक की मारक क्षमता रखने वाली ऐसी 100 मिसाइलों का प्रति वर्ष उत्पादन करने के लिए मेसर्स भारत डायनेमिक्स लिमिटेड में एक नई उत्पादन इकाई की स्थापना की गई है। इस मिसाइल का परीक्षण कल ही होना था लेकिन अंतिम समय पर इसे आज के लिए टाल दिया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि इससे पहले भी भारतीय नौसेना ने सतह से हवा में लंबी दूरी तक की मारक क्षमता रखने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। यह परीक्षण 30 दिसंबर 2015 को पश्चिमी समुद्री तट पर आईएनएस कोलकाता से किया गया था। उन्होंने कहा कि सतह से हवा में मारने वाली इस तरह की मध्यम दूरी की मिसाइलों की मारक क्षमता 50 से 70 किलोमीटर की होती है।