नृपेंद्र कुमार मौर्या | navpravah.com
नई दिल्ली | पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार आज विधानसभा में एक विशेष सत्र के दौरान महिलाओं के खिलाफ बलात्कार और अन्य यौन अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान करने वाला एक बिल पेश करने जा रही है। इस नए विधेयक में बलात्कारियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान होगा और यौन अपराधों की सुनवाई एक निश्चित समय सीमा के भीतर पूरी करने का भी प्रावधान रखा गया है।
राज्य के कानून विभाग के अधिकारियों के अनुसार, इस विधेयक में बलात्कार की घटनाओं को हत्या के समान माना जाएगा, जिसमें अपराधी के लिए मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा का प्रस्ताव है। भले ही पीड़िता बच जाए, पर अपराधी को हत्या के समान दंड दिया जाएगा।
इस बिल को लाने की आवश्यकता कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक पीजी ट्रेनी लेडी डॉक्टर के बलात्कार और हत्या के बाद महसूस की गई। इस विधेयक में बलात्कार के मामलों में आजीवन कारावास या मृत्युदंड की सजा का प्रावधान है। बलात्कार की गंभीरता के आधार पर यह तय किया जाएगा कि सजा क्या होगी। यदि पीड़िता जीवित बचती है, तो अपराधी को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी और यदि पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह गंभीर रूप से घायल हो जाती है, तो अपराधी को मृत्युदंड दिया जाएगा।
मुकदमे की प्रक्रिया को तय समय सीमा के भीतर पूरा करने का प्रावधान भी इस विधेयक में शामिल है। बलात्कार और हत्या के मामलों में, अपराधी को मृत्युदंड के साथ-साथ उसके परिवार पर भारी जुर्माना लगाने का भी प्रावधान होगा।
इस बिल में एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि निर्णय कम से कम समय में दिया जाएगा, विशेषकर उन मामलों में जिनमें पर्याप्त और निर्णायक सबूत उपलब्ध हों। ऐसे मामलों में अपराध की तारीख से 15 दिनों के भीतर फैसला सुनाया जाएगा। आंध्र प्रदेश सरकार ने भी 2019 में एक विधेयक पेश किया था, जिसमें 21 दिनों के भीतर फैसले का प्रावधान है, लेकिन वह विधेयक अभी भी राष्ट्रपति की मंजूरी का इंतजार कर रहा है। वहीं, निर्भया अधिनियम, 2013 और आपराधिक संशोधन अधिनियम, 2018 के तहत बलात्कार के मामलों में फैसला देने के लिए मौजूदा समय चार महीने का है, जिसमें दो महीने जांच के लिए और दो महीने मुकदमे के लिए निर्धारित हैं।
पश्चिम बंगाल के नए विधेयक में कुछ खास प्रावधान भी शामिल किए गए हैं। यह पहली बार होगा जब बलात्कार की घटना को हत्या के मामले के समान माना जाएगा और कानून के अनुसार मुकदमा चलाया जाएगा। इसके अलावा, बलात्कार या बलात्कार और हत्या के सभी मामलों की सुनवाई फास्ट-ट्रैक अदालतों में की जाएगी। विधेयक में यह भी अनिवार्य किया गया है कि अपराध की सूचना मिलने के छह घंटे के भीतर पीड़िता की मेडिकल जांच कराई जानी चाहिए और आरोपी को गिरफ्तारी के तुरंत बाद मेडिकल जांच करानी चाहिए।