सौम्या केसरवानी | navpravah.com
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने आज विभिन्न राज्यों में हो रहे बुलडोजर एक्शन मामले पर नाराज़गी व्यक्त की। जस्टिस गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जज के सामने अपनी दलीलें पेश कीं। मेहता ने कहा कि अवैध कब्जे के मामलों में म्युनिसिपल संस्थाओं द्वारा नोटिस देने के बाद ही कार्रवाई की गई है। अदालत ने नोटिस, कार्रवाई और अन्य आरोपों पर सरकार से उत्तर मांगे हैं।
कोर्ट ने बुलडोजर कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि सिर्फ आरोपी होने के आधार पर किसी के घर को गिराना सही नहीं है। तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि जिनके खिलाफ कार्रवाई हुई है, वे अवैध कब्जे या निर्माण के कारण निशाने पर हैं न कि अपराध के आरोप की वजह से, इसलिए उनका घर अवैध कब्जे के आधार पर गिराया गया है।
कोर्ट ने कहा कि वह किसी भी अवैध संरचना को सुरक्षा नहीं प्रदान करेगा, जो सार्वजनिक सड़कों को अवरुद्ध कर रही हो। कोर्ट ने संबंधित पक्षों से सुझाव मांगे हैं, ताकि वह पूरे देश में संपत्तियों के ध्वस्तीकरण के संबंध में उचित दिशा-निर्देश जारी कर सके ताकि लोगों को असुविधा न हो। बता दें याचिका में ‘बुलडोजर जस्टिस’ की प्रवृत्ति पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट से सुनवाई की मांग की गई थी।
एमेनेस्टी इंटरनेशनल की फरवरी 2024 की एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से जून 2023 के बीच दिल्ली, असम, गुजरात, मध्यप्रदेश और यूपी में सांप्रदायिक हिंसा के बाद 128 संपत्तियों को बुलडोजर से ढहा दिया गया था। मध्यप्रदेश में एक आरोपी के पिता की संपत्ति पर बुलडोजर चलवा दिया गया था और वहीं मुरादाबाद तथा बरेली में भी बुलडोजर से संपत्तियां ढहाई गईं थी।