लॉकडाउन के चलते भूखे मरने की कगार पर डब्बावाले

  • सुब्रमण्यन स्वामी ने की सरकार से मदद की अपील।
  • पाँच हज़ार डब्बावालों की हालत ख़राब।
  • पाँच हज़ार डब्बावाले क़रीब दो लाख लोगों को पहुँचाते हैं ख़ाना।

न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेट्वर्क 

डिलीवरी सिस्टम के लिए दुनिया भर में मशहूर मुंबई के 5000 डब्बावालों के सितारे लॉकडाउन के बाद गर्दिश में हैं और अब उनके सामने रोजी रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है। खाने के डिब्बों की डिलीवरी का काम बंद हो जाने से डब्बावालों की आर्थिक स्थिति बिल्कुल जर्जर हो चुकी है और यह संकट दिन ब दिन गहराता जा रहा है। हालांकि मिशन बीगिन अगेन के तहत कामकाज अब धीरे-धीरे खुल रहा है, लेकिन डब्बावालों के लिए स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई है, क्योंकि लोकल ट्रेनें अभी भी बंद है।
डब्बावालों को संकट से बचाने के लिए बीजेपी से राज्यसभा सांसद और वकील सुब्रमण्यन स्वामी ने ट्वीट करके डब्बा वालों के पक्ष में अपील की है। स्वामी ने अपने ट्वीट में पोस्ट किया कि डब्बावाले अपने में अद्वितीय भारतीय उद्यम हैं और इन लोगों ने भारत के विकास में योगदान किया है। डब्बा वालों ने मुंबई की काफी सेवा की है और ऑफिस में काम करने वाले लोगों को घर का बना खाना पहुंचाया है। महाराष्ट्र की सरकार और भारतीय जनता पार्टी को आज उन्हें भूखे मरने से बचाना चाहिए।
गौरतलब है कि काम करने में उनकी दक्षता के चलते ही हमेशा चर्चा में रहने वाले 5000 डब्बावाले रोजाना करीब 2 लाख लोगों को खाना पहुंचाते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि एक बार व्यक्ति अपने आफिस भले ही लेट पहुंचे, लेकिन ये डब्बावाले कभी लेट नहीं होते। मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन एक ‘रोटी बैंक’ को भी चलाने मदद करता है, जिससे अस्पतालों में इलाज कराने के लिए आए गरीब मरीजों के परिजनों और सड़कों पर गुजारा करने वालों को मुफ्त में भोजन दिया जाता है।
जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है, इन डब्बावालों का काम बंद है। ज्यादातर डब्बे वाले पुणे के नजदीक के ग्रामीण इलाकों के रहने वाले हैं और वापस गांव घरो की तरफ चले गए हैं। वहां भी खेती से उनका गुजारा मुश्किल से हो रहा है, जिसके बाद वे लगातार अलग-अलग प्लेटफार्म से मदद के लिए अपील कर रहे हैं और अब बीजेपी के नेता स्वामी ने डब्बा वालों की मदद की बात कही है।
स्वामी की पहल का मुंबई डब्बावाला एसोसिएशन के प्रेसीडेंट सुभाष तलेकर का स्वागत करते कहा कि 130 सालों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ कि हमारे लोग इतनी विषम आर्थिक परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अभी कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने असंगठित क्षेत्रों में काम कर रहे लोगों को 5000 रुपये का आर्थिक सहायता देने की बात कही थी, पर हमारे बारे में सरकार ने पता नहीं अब तक कोई फैसला क्यों नहीं लिया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि सरकार जल्द उनकी भी सुधि लेगी।

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