भारत में कोरोना वायरस वैक्सीन की रेस में सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) सबसे आगे है। वह ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी की डेवलप की गई वैक्सीन का ट्रायल और प्रॉडक्शन कर रही है। कंपनी को सरकार से वैक्सीन के उत्पादन की मंजूरी मिली है लेकिन केवल भविष्य में इस्तेमाल के लिए। कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि SII की वैक्सीन COVISHIELD 73 दिन के भीतर बाजार में उपलब्ध होगी। मगर कंपनी का कहना है कि यह केवल कयास हैं। वैक्सीन बाजार में तभी आएगी जब ट्रायल सफल हों और रेगुलेटरी अप्रूवल मिल जाए।
सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने एक बयान में कहा, “सरकार ने अभी हमें केवल भविष्य में इस्तेमाल के लिए वैक्सीन के उत्पादन और भंडारण की अनुमति दी है।” कंपनी ने साफ कहा कि COVISHIELD को तभी कॉमर्शियलाइज्ड किया जाएगा जब ट्रायल्स में इसे सफलता मिले और फिर रेगुलेटरी अप्रूवल्स मिल जाएं।
ऑक्सफर्ड-अस्त्राजेनेका की वैक्सीन का फेज-3 ट्रायल चल रहा है। कंपनी ने कहा कि एक बार वैक्सीन प्रतिरोधी और प्रभावी साबित हो जाए तो वह उसकी उपलब्धता की पुष्टि करेगी। कंपनी का टीका निम्न और मध्यम आय श्रेणी में आने वाले देशों (LMICs) में महज 3 डॉलर (करीब 225 रुपये) में उपलब्ध करवाया जाएगा।
‘नेचर’ जर्नल में छपी स्टडी के मुताबिक, बंदरों पर यह वैक्सीन पूरी तरह असरदार साबित हुई। उनमें कोविड-19 के प्रति इम्यूनिटी डेवलप हुई। इंसानों पर फेज 1 और 2 ट्रायल पूरा हो चुका है। भारत, ब्राजील समेत दुनिया के कई देशों में फेज 3 ट्रायल जारी है। 17 सेंटरों पर 1600 लोगों के बीच यह ट्रायल 22 अगस्त से शुरू हुआ है। हर सेंटर पर करीब 100 वालंटिअर हैं। नवंबर तक ट्रायल पूरा होने की उम्मीद है। नतीजे अच्छे रहे तो रेगुलेटरी अप्रूवल के बाद वैक्सीन का लार्ज-स्केल प्रॉडक्शन शुरू होने में अगले साल की शुरुआत तक का वक्त लग सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि हमारी एक वैक्सीन कैंडिडेट क्लिनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है। सरकार SII के अलावा कई फार्मा कंपनियों के संपर्क में है और ज्यादा से ज्यादा टीके हासिल करना चाहती है। अगर ICMR और भारत बायोटेक द्वारा विकसित की जा रही ‘कोवैक्सीन’ और जायडस कैडिला की ‘ZyCoV-D’ ट्रायल में सफल होती हैं, तो उनके ऑर्डर भी दिए जा सकते हैं।