शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
‘समाजवादी’ खेमे में छिड़े युद्ध के दरम्यान पार्टी में ‘फूट’ डालने का श्रेय पानेवाले राज्यसभा सदस्य अमर सिंह की जान को खतरे में होने की आशंका के तहत ज़ेड दर्ज़े की सिक्योरिटी दे दी गई है। सरकार ने अमर सिंह को केंद्रीय अर्द्धसैनिक कमांडो वाला ‘ज़ेड’ श्रेणी का सुरक्षा घेरा तो प्रदान कर दिया, लेकिन समाजवादी पार्टी के ‘बागी’ दल को अमर सिंह पर फब्तियां कसने का भी मौका दे दिया। अखिलेश दल ने साफ़ तौर पर इस सुरक्षा को भाजपा द्वारा अमर सिंह को समाजवादी पार्टी तोड़ने का ईनाम करार दिया है।
अमर सिंह को प्रदान किया गया खास सुरक्षा का फैसला उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों से पहले समाजवादी पार्टी के आंतरिक कलह को देखते हुए किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कल रात इस संबंध में एक आदेश जारी किया और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) से तुरंत यह जिम्मेदारी संभालने को कहा है।
केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दी गयी जानकारी का हवाला देते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हालिया गतिविधियों के मद्देनजर सिंह को खतरे की आशंका है।’’ इस सुरक्षा घेरे के तहत मुलायम सिंह यादव के करीबी अमर सिंह के साथ सीआईएसएफ के दो दर्जन सशस्त्र कमांडो की टुकड़ी होगी और उत्तर प्रदेश में उनके दौरों के समय उनके साथ यह सुरक्षा घेरा पूरे वक्त मौजूद रहेगा। अधिकारी के मुताबिक अमर सिंह 2008 से 2016 के मध्य तक सीआईएसएफ के केंद्रीय सुरक्षा घेरे में रहे और बाद में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने उत्तर प्रदेश पुलिस को यह जिम्मेदारी सौंप दी थी।
जेड श्रेणी की सुरक्षा के अतिरिक्त जब अमर सिंह दिल्ली में होेंगे तोे दिल्ली पुलिस की छोटी सी टीम उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल सकती है। आपको याद दिला दें कि सपा नेता मुलायम सिंह से कुछ दिन तक संबंधों में तनाव रहने के बाद अमर सिंह फिर से उनके करीब आ गये थे और मई में फिर से पार्टी के राज्यसभा सांसद बनाये गये थे। गौर करने की बात यह है कि जब से अमर सिंह की पार्टी में वापसी हुई थी, पिता पुत्र के बीच शीत युद्ध तभी से शुरू को गया था, जो अब खुले विद्रोह का रूप ले चुका है।
इधर केंद्र सरकार की तरफ से अमर सिंह को जेड श्रेणी की सुरक्षा दिए जाने पर अखिलेश यादव गुट ने इसे पार्टी तोड़ने की कोशिश करार दिया है। समाजवादी पार्टी सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि अमर सिंह को बीजेपी का एजेंट होने का इनाम दिया गया है, हालांकि एजेंसियों ने खतरे के संबंध में ज्यादा ब्योरा नहीं दिया।