बिहार : सारण में मिलाद-उन-नबी जुलूस में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, अशोक स्तम्भ की जगह चांद-तारा

इशिका गुप्ता | navpravah.com

नई दिल्ली | बिहार के सारण जिले में ईद-ए-मिलाद-उन-नबी के जुलूस के दौरान तिरंगे झंडे के साथ हुई छेड़छाड़ की घटना ने पूरे क्षेत्र में हड़कंप मचा दिया है। यह मामला तब सामने आया जब एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें दिखाया गया कि एक पिकअप वाहन पर लहराए जा रहे तिरंगे पर अशोक चक्र की जगह चांद-तारा वाला प्रतीक लगाया गया था। इस वीडियो ने न केवल सोशल मीडिया पर व्यापक चर्चा छेड़ी, बल्कि स्थानीय लोगों में भी गुस्सा और आक्रोश पैदा कर दिया।

पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मामला दर्ज किया

वीडियो वायरल होने के तुरंत बाद सारण के पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने मामले का संज्ञान लिया और भारतीय ध्वज अधिनियम 2002 और अन्य आपराधिक धाराओं के तहत केस दर्ज करने के आदेश दिए। पुलिस की सक्रियता को देखते हुए संबंधित थाने ने तुरंत कार्रवाई करते हुए उस पिकअप वाहन को जब्त कर लिया, जिस पर यह विवादित झंडा लहराया जा रहा था। इसके साथ ही पुलिस ने इस मामले में दो व्यक्तियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है। प्रारंभिक जांच में गिरफ्तार व्यक्तियों ने दावा किया कि उन्हें यह झंडा किसी तीसरे व्यक्ति द्वारा उपलब्ध कराया गया था।

पुलिस अधीक्षक डॉ. कुमार आशीष ने बताया कि पुलिस अब उस तीसरे व्यक्ति की तलाश में जुटी है, जिसने इस झंडे को दिया था। इसके साथ ही, इस घटना के पीछे छिपी मंशा और उद्देश्य को जानने के लिए गहराई से जांच की जा रही है। पुलिस का कहना है कि जो भी इस षड्यंत्र में शामिल है, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

तिरंगे के अपमान पर जनता का आक्रोश

तिरंगे झंडे के साथ इस तरह की छेड़छाड़ ने स्थानीय ग्रामीणों और अन्य लोगों के बीच व्यापक आक्रोश पैदा कर दिया है। लोगों ने इस घटना को देश की अस्मिता के साथ सीधा खिलवाड़ बताया और दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है। आक्रोशित ग्रामीणों ने थाने का घेराव करते हुए प्रदर्शन किया और प्रशासन से मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की। उनका कहना था कि तिरंगा हर भारतीय के लिए गर्व का प्रतीक है और इसके साथ कोई भी अपमान बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

इस घटना को लेकर लोगों ने धरना दिया और दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने की मांग की। उन्होंने प्रशासन से यह भी सुनिश्चित करने की मांग की कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और यदि किसी धार्मिक या सामाजिक आयोजन के दौरान तिरंगे का उपयोग होता है, तो उसे आदर के साथ लहराया जाए।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

इस मामले को लेकर पुलिस और प्रशासन भी सतर्क हो गए हैं। पुलिस अधीक्षक ने जानकारी दी कि भारतीय ध्वज अधिनियम 2002 के प्रावधानों और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 153 (समाज में वैमनस्यता फैलाना) के तहत मामला दर्ज किया गया है। साथ ही, जुलूस के लाइसेंस की भी जांच की जा रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या जुलूस की अनुमति कानूनी रूप से प्राप्त की गई थी और अगर हां, तो लाइसेंसधारी ने इस झंडे के इस्तेमाल पर कोई आपत्ति क्यों नहीं जताई।

इसके अलावा, पुलिस यह भी जांच कर रही है कि आखिरकार इस जुलूस में तिरंगे का उपयोग किन परिस्थितियों में हुआ और क्या इसके पीछे कोई सांप्रदायिक या राजनीतिक मंशा थी। पुलिस का कहना है कि इस तरह की हर पहलू की जांच की जा रही है और अगर कोई भी दोषी पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी।

सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं

इस घटना के बाद स्थानीय राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने भी अपना विरोध जताया है। कई संगठनों ने इस घटना को राष्ट्रीय प्रतीकों के अपमान के रूप में देखा है और इसके खिलाफ प्रदर्शन आयोजित करने का ऐलान किया है। उनका कहना है कि तिरंगे का अपमान किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता और इसके दोषियों को कठोरतम सजा दी जानी चाहिए।

सार्वजनिक मंचों पर भी इस घटना की निंदा की जा रही है और लोगों ने यह मांग की है कि इस तरह के मामलों में पुलिस और प्रशासन को और भी सख्त होना चाहिए, ताकि देश की गरिमा और अस्मिता सुरक्षित रह सके। कई नेताओं और समाजसेवियों ने घटना पर बयान जारी करते हुए कहा कि राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करना हर नागरिक का कर्तव्य है और इसके साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ अस्वीकार्य है।

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