आमिर हमेशा कुछ नया करते हैं। फ़िल्म सीक्रेट सुपरस्टार में उन्होंने जो किरदार निभाया है, वो भी एक नया प्रयोग है। आमिर कहते हैं, “फिल्म कभी किसी कलाकार की वजह से ही हिट या फ्लॉप नहीं होती। फिल्म के असली हीरो होते हैं, उसके लेखक और निर्देशक।” फिल्म ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ को लेकर उन्होंने अमित द्विवेदी से लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं आमिर खान से हुई बातचीत के प्रमुख अंश-
सीक्रेट सुपरस्टार में जो किरदार है, वो क्या फिल्म रंगीला से मिलता जुलता है?
आमिर- बिल्कुल नहीं, ऐसी फिल्म आज तक मैंने नहीं की। रंगीला में जो किरदार था, वो भावुक था, लड़की से प्यार करता था। लेकिन ये बिलकुल भी ऐसा नहीं है। ये मेरे नेचर से बिलकुल मिलता जुलता नहीं है। मैं निजी ज़िंदगी में बेहद सरल और संवेदनशील हूँ, इस फिल्म में जो किरदार है, वो बिगडैल है, अभद्र है। लेकिन फिल्म एकदम हटके है। मुझे अद्वैत ने जब इस रोल के बारे में कहा था, तब मैं बड़ा कन्फ्यूज़ था कि मैं इस किरदार के साथ न्याय कर पाऊंगा भी या नहीं। क्योंकि ये मुझसे किसी भी एंगल से सिमिलर नहीं है। लेकिन जब हमने स्क्रीन टेस्ट किया, तब मुझे लगा कि चलो, कर लूँगा।
आपने ट्वीट करके कहा था कि ये कैरेक्टर मेरे लिए बड़ा मुश्किल था, कैसे ढाला खुद को ?
आमिर- जी, ये मेरे लिए वाकई में बहुत अलग था, क्योंकि मैं ऐसा हूँ ही नहीं, एकदम अपोज़िट हूँ। मैं वैसा कभी नहीं सोचता, जैसा ये शक्ति कुमार सोचता है। किरदार में खुद को डालना भी बहुत अहम् है, इसके लिए मैं हमेशा स्क्रिप्ट का ही सहारा लेता हूँ। स्क्रिप्ट पढने के बाद समझने की कोशिश करता हूँ किरदार को। ऐसे ही इस बार भी किया। लेकिन कैरेक्टर थोडा सा ज़रूर मुश्किल था मेरे लिए।
जब आप फिल्म प्रोड्यूस करते हैं, तब आपका कितना हस्तक्षेप रहता है?
आमिर- मैं क्रिएटिव मामलों में काफी इन्वाल्व होता हूँ। खासकर, म्यूजिक, कास्टिंग वगैरह में। मेरा मानना है कि कहानी को सही कलाकार का मिलना बहुत ज़रूरी है, नहीं तो फिल्म कमज़ोर पड़ जाती है। इसलिए मैं हमेशा सजेस्ट करता हूँ कि आप इस कलाकार को इस किरदार के लिए ले सकते हैं। ज़ायरा के लिए मैंने सजेस्ट किया। हालाँकि उस समय हमने ज़ायारा को दंगल के लिए सेलेक्ट किया था।
सीक्रेट सुपरस्टार में जो कैरेक्टर है,उसके लिए आपको संगीत सीखना पड़ा ?
आमिर- दरअसल, जितनी जानकारी की आवश्यक्ता है, उतनी है मुझे। मेरा संगीत से काफी जुड़ाव रहा है। मैंने कई म्यूजिक डायरेक्टर्स के साथ म्यूजिक सेशंस किया है, जैसे अनु मालिक, जावेद साहब, जतिन-ललित। इसलिए मुझे अलग से म्यूजिक सीखने की ज़रुरत नहीं पड़ी।
जब आप कोई फिल्म करते हैं, तो पूरा ध्यान आप पर केन्द्रित हो जाता है, तो फिल्म में कोई फर्क तो नहीं पड़ता?
आमिर- बिल्कुल नहीं, मेरा मानना है कि फिल्म में कलाकार अहम् होता है, लेकिन फिल्म से बड़ा नहीं हो सकता। मेरा ये मानना है कि कोई भी कलाकार फिल्म से बड़ा नहीं हो सकता। मैं हमेशा इस बात का ख़याल रखता हूँ कि मैं फिल्म से बड़ा नहीं हूँ, मैं सुपरस्टार हूँ तो फिल्म की वजह से। ध्यान कहानी पर होना चाहिए, किरदार पर होना चाहिए, न कि मुझ पर।
फिल्म दिवाली पर रिलीज़ होगी, गोलमाल भी रिलीज़ हो रही है। आपको लगता है थियेटर्स की संख्या ज्यादा होनी चाहिए?
आमिर- बिल्कुल ज्यादा होनी चाहिए। और इसमें ऐसा भी होना चाहिए कि हर कैटेगरी के लोगों को मल्टीप्लेक्स और थियेटर्स में फिल्में देखने की सहूलियत हो। सिर्फ उसके लिए नहीं, जो दो सौ-पांच सौ रुपये खर्च कर सके। उसके लिए भी थियेटर्स में जगह होनी चाहिए, जिसके पास मात्र 20 रुपये की क्षमता है। आप देखिये चीन में लगभग 45 हज़ार थियेटर्स हैं, जबकि हमारे देश में मात्र साढ़े पांच हज़ार। जनसंख्या दोनों देशों की लगभग समान है। चीन की जनसँख्या थोड़ी ही ज्यादा है हमसे, लेकिन आंकड़ों में देखिये कितना फर्क है, उनके यहाँ हमसे लगभग दस गुना ज्यादा थियेटर्स हैं। हमें इस बिंदु पर ज़रूर काम करना चाहिए।
आप और अमिताभ बच्चन पहली बार फिल्म ‘ठग्स ऑफ़ हिन्दुस्तान’ में साथ काम कर रहे हैं, कैसा अनुभव रहा उनके साथ काम करने का?
आमिर- बहुत कमाल का अनुभव रहा बच्चन साहब के साथ काम करके। मैंने बहुत कुछ सीखा। लोग कहते हैं कि बच्चन साहब सेट पर बात कम करते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। हम लोग एक दूसरे से बहुत बातें करते हैं। बच्चन साहब अक्सर मुझे बीती बातें बताते हैं। उनके अनुभव से मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला है। अमित जी बेहद सुलझे हुए इंसान हैं। आप उनके सामने बैठकर भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
आप एक संजीदा कलाकार हैं, युवा बहुत सीखते हैं आपसे। कहीं ये किरदार युवाओं को बिगाड़ेगा तो नहीं?
आमिर- बिल्कुल नहीं, क्योंकि फिल्म यह बात बहुत स्पष्ट रूप से दर्शाई गई है कि किरदार बिगडैल है। और लोग प्रभावित अच्छी चीज़ों से होते हैं। ऐसा बिल्कुल नहीं होगा कि युवा इससे भ्रमित हों। क्योंकि देश के ज़्यादातर युवाओं को बुरे व्यवहार वाले लोग नहीं पसंद हैं। इंसान उसी का अनुसरण करता है, जिससे वह प्रभावित होता है न कि जिससे चिढ़ता है।