न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
लॉकडाउन के समय गुजरात और महाराष्ट्र से भारी संख्या में मज़दूरों का पलायन हुआ। आर्थिक तंगी की वजह से मज़दूरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। अब जब सरकार ने व्यवसाय को ट्रैक पर लाने के लुए धीरे-धीरे ढील देना शुरू किया, तो कंपनियों को मज़दूर ही नहीं मिल रहे हैं। अब कंपनियों के मालिक तरह-तरह के प्रलोभन दे रहे हैं, लेकिन मज़दूरों में मालिकों के प्रति अविश्वास का भाव कम होने का नाम नहीं ले रहा।
जिन मज़दूरों की वजह से कंपनियों का मुनाफा बढ़ता है, जिन्हे किसी भी व्यवसाय की रीढ़ कहा जाता है, उनके साथ लॉकडाउन के समय में बहुत नाइंसाफी हुई। मज़दूरों के पास रहने -खाने की तंगी हुई, तो पलायन शुरू हो गया। साईकल, पैदल और जैसे-तैसे सब अपने मुल्क रवाना हो गए। अब जब सब पटरी पर आ रहा है, तो मालिकों को मज़दूरों की याद आ रही है।
कंपनियां प्रवासी मजदूरों को वापस बुलाने के लिए तरह-तरह के प्रलोभन दे रही हैं। हालांकि कुछ कंपनियां शहरी क्षेत्रों में श्रमिकों को आकर्षित करने के लिए मुफ्त यात्रा टिकट, आवास और भोजन जैसे लाभों का वादा कर रही हैं। अन्य लोग आस-पास के स्थानों से नए लोगों को नौकरी पर रख रहे हैं।
महाराष्ट्र बांधकाम व जनरल कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजकुमार जायसवाल ने बताया कि मज़दूर किसी भी शर्त पर आने के लिए तैयार नहीं थे, फिर ठेकेदारों ने हवाई जहाज़ का टिकट भेजना शुरू किया। अब जब मज़दूरों को हवाई जहाज़ का टिकट और एडवांस पैसा भेजा जा रहा है, तब मज़दूर आने को तैयार हुए हैं।