एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीशों वाली संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा है, कि संसदीय समितियों की रिपोर्ट को चुनौती नहीं दी जा सकती और ना ही उनकी वैधता पर अदालतों में सवाल उठाया जा सकता है।
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अदालतें कानून के अनुरूप विधिक व्याख्या के लिए संसदीय समिति की रिपोर्ट का संदर्भ दे सकती हैं, न्यायालय ने कहा कि अदालतें संसदीय समिति की रिपोर्ट पर न्यायिक संज्ञान ले सकती हैं, लेकिन उनकी वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती।
इससे पहले उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को प्रधान न्यायाधीश के महाभियोग के मामले की स्थिति को ‘विचित्र एवं अभूतपूर्व’ बताया और कहा कि सीजेआई इस मामले में पक्षकार हैं और चार अन्य न्यायाधीशों की भी कुछ भूमिका हो सकती है।
कांग्रेस के दो सांसदों ने पूछा कि अदालत को उन्हें बताना चाहिए कि उनकी याचिका से निपटने के लिए एक बड़ी पीठ गठित करने संबंधी प्रशासनिक आदेश की प्रति मांगने के मामले का उल्लेख कहां किया जाए।
इस पर न्यायमूर्ति एके सीकरी की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, यह विचित्र एवं असाधारण स्थिति है, जहां सीजेआई पक्षकार हैं और चार अन्य न्यायाधीश की भी कुछ भूमिका हो सकती है, हमें नहीं पता।