एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
5 माओवादियों की गिरफ्तारी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है, कोर्ट ने इन लोगों की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए इन्हें नजरबंद करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि असहमति लोकतंत्र का सेफ्टी वाल्व है, यदि आप सेफ्टी वाल्व की सुविधा नहीं देंगे तो यह फट जायेगा।
वहीं, कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर बढ़ते विवाद के बीच राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी कदम उठाया और कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मानक प्रक्रिया का उचित पालन नहीं किया गया और यह मानवाधिकार उल्लंघन के बरारबर माना जा सकता है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, तेलगू के कवि वरवर राव, कार्यकर्ता वेर्नन गोन्साल्विज और अरुण फरेरा को बीती देर रात पुणे लाया गया, माओवादियों से संबंधों के संदेह में गिरफ्तार किए गए अन्य दो लोगों में ट्रेड यूनियन से जुड़ी कार्यकर्ता और पेशे से वकील सुधा भारद्वाज और कार्यकर्ता गौतम नवलखा शामिल हैं।
याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने भीमा-कोरेगांव मामले में गिरफ्तार सभी पांच मानवाधिकार कार्यकताओं को छह सितंबर तक घर में नजरबंद रखने का आदेश दिया, वहीं, समानांतर घटनाक्रम में दिल्ली हाईकोर्ट ने कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर आज कहा कि हाईकोर्ट ने कहा कि उसे सभी दस्तावेजों की अनुवादित प्रतियों का पूरा सेट नहीं दिया गया।
अदालत ने कल निर्देश दिया था कि उसके द्वारा मामले की सुनवाई किये जाने से पहले नवलखा को दिल्ली से बाहर न ले जाया जाए क्योंकि उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के दस्तावेज मराठी में हैं, इसलिए वे स्पष्ट नहीं हैं।
कोर्ट के फैसले के बाद इस मुद्दे पर तमाम विपक्षी दल सरकार पर कटाक्ष कर रहे हैं. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने तो यहां तक कहा कि देश तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है।