सौम्या केसरवानी | navpravah.com
केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 साल की महिलाओं के प्रवेश वर्जित मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा है कि, मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती थी और वह हिंदू थे, इसलिए मंदिर में किसी भी महिला के प्रवेश पर रोक नहीं लगाया जा सकता है।
देश के प्रमुख न्यायाधीश दीपक मिश्रा समेत 5 जजों की संवैधानिक पीठ ने कहा, महिलाएं पुरुषों से किसी भी मामले में कम नहीं हैं, तो उनके मंदिर में प्रवेश पर रोक लगाना सही नहीं है। कोर्ट ने कहा, एक तरफ हम औरतों की पूजा करते हैं, लेकिन दूसरी तरफ उन्हीं के मंदिर में प्रवेश पर रोक कैसे लगा सकते हैं। इसलिए सबरीमाला मंदिर में महिलाओं को प्रवेश से रोकना असंवैधानिक है।
कोर्ट ने कहा, सबरीमाला मंदिर में जिन भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है, वह हिंदू थे, ऐसे में उनके भक्तों का अलग धर्म ना बनाया जाए, महिलाओं को मंदिर में पूजा करने से रोकना उनकी गरिमा का अपमान है, सबरीमाला के रिवाज हिंदू महिलाओं के हक के खिलाफ हैं।
जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा, धार्मिक परंपराओं में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए, किसी को धार्मिक प्रथा पर भरोसा है, तो उसे उसका सम्मान करना चाहिए, संवैधानिक पीठ के फैसले से अगल बोलते हुए इंदु मल्होत्रा ने कहा कि कोर्ट का काम धार्मिक मान्यताओं में न तो दखल देना है और न ही उन्हें रद्द करना है।
बता दें कि, 15 साल से ऊपर की लड़कियां और महिलाएं इस मंदिर में नहीं जा सकतीं हैं, यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं, इसके पीछे मान्यता है कि भगवान अयप्पा ब्रह्मचारी थे।