एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
केरल उच्च न्यायालय ने पिछले साल 25 मई को 24 साल की हिंदू महिला हादिया की शादी को रद्द कर दिया था। अब इस मामले ने एक नया मोड़ लिया है। केरल के हदिया लव-जिहाद केस में सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी की है। न्यायालय ने कहा कि हदिया बालिग है, उसने अपनी मर्जी से शादी की है, इसलिए उसकी शादी की जांच का हक NIA को नहीं है।
इस मामले की अगली सुनवाई 22 फरवरी को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए कहा कि जब लड़की खुद अपनी मर्जी से शादी की बात कह रही है, तो कोर्ट कैसे शादी को अवैध ठहरा सकता है? जस्टिस चन्द्रचूड़ ने कहा, “जब हदिया को कोई समस्या नहीं, तो मसला ही खत्म हो जाता है। कोर्ट ने कहा कि जहां तक लड़के के आपराधिक बैकग्राउंड का मामला है, तो उसकी जांच हो सकती है, लेकिन वह अलग मसला है और विवाह-विवाद से परे है। विवाह पर न तो पक्षकारों को सवाल उठाने का हक है और न ही किसी कोर्ट को।
इससे पहले लव जिहाद मामले में केरल की महिला हदिया ने सुप्रीम कोर्ट में अपना बयान देते हुए कहा था कि वह अपने पति के साथ रहना चाहती है। हदिया ने कहा था, “मैं एक मुस्लिम हूं, मुझ पर इसका कोई दबाव नहीं है। मैं अपने पति के साथ रहना चाहती हूं।” शीर्ष अदालत ने 30 अक्टूबर को हदिया के पिता अशोकन को निर्देश दिया था कि वह अपनी बेटी को 27 नवंबर को अदालत में पेश करें, ताकि वह शफीन जहां से उसके विवाह के बारे में पता लगा सकें। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी.वाय. चंद्रचूड़ ने बुधवार (22 नवंबर) को कहा था कि बंद कमरे में सुनवाई के आवेदन पर सुनवाई तब होगी, जब 27 नवंबर को हदिया अदालत के समक्ष पेश होगी। हदिया के पिता अशोकन ने आवेदन दिया था कि इस मामले की सुनवाई बंद कमरे में हो।
अंतिम सुनवाई में अदालत ने कहा था कि बाद के मुद्दे की जांच करने से पहले, यह पता लगाना है कि हदिया ने स्वेच्छा से इस्लाम कुबूल किया था, या नहीं और उसके विवाह को लेकर उसके क्या विचार हैं। अदालत, शफीन जहां द्वारा केरल हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसने हदिया के साथ उसकी शादी को रद्द कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को हदिया के इस्लाम अपनाने और उसके विवाह की जांच करने के लिए कहा था।
बता दें कि केरल उच्च न्यायालय ने पिछले साल 25 मई को 24 साल की हिंदू महिला हादिया की शादी को रद्द कर दिया था। महिला ने मुस्लिम व्यक्ति से दिसंबर 2016 में शादी की थी। महिला ने शादी के लिए इस्लाम स्वीकार किया था। अदालत ने महिला हादिया को माता-पिता के पास रखने का निर्देश दिया था।