अमित द्विवेदी | Navpravah.com
पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगले दिए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को बड़ा झटका दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के कानून को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया और आदेश दिया कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले खाली करने होंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती से कहा कि उत्तर प्रदेश का कानून समानता के मौलिक अधिकार के खिलाफ और मनमाना है। न्यायालय ने संविधान की प्रस्तावना का हवाला देते हुए कहा कि इस कानून ने नागरिकों के बीच विशिष्ट श्रेणी का निर्माण कर दिया है। कोर्ट ने यह बात स्पष्ट की कि एक बार जब पब्लिक सर्वेंट कार्यालय छोड़ देता है, तब वह आम नागरिक बन जाता है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्रियों को ताउम्र सरकारी बंगला दिए जाने के प्रावधान पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
जनता के पैसे का दुरुपयोग-
ज्ञातव्य है कि इससे पहले अमीकस क्यूरी गोपाल सुब्रमण्यम ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्रियों व मुख्यमंत्रियों को आजीवन सरकारी बंगला नहीं दिया जाना चाहिए, क्योंकि ये जनता के पैसे का दुरुपयोग है। अदालत ने इसे जनहित का मामला बताते हुए वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को अमीकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) नियुक्त किया था।
दरअसल लोक प्रहरी नामक संगठन द्वारा इस मसले को लेकर दायर याचिका पर पहले ही उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया जा चुका था। बेंच ने कहा कि इसका असर विभिन्न राज्यों पर ही नहीं बल्कि केंद्रीय कानून पर भी पड़ेगा. इसे देखते हुए पीठ ने वरिष्ठ वकील गोपाल सुब्रमण्यम को अमीकस क्यूरी नियुक्त करते हुए अदालत की मदद करने के लिए कहा था।